-कुष्ठ रोगियों और दीन दुखियों की सेवा करने को मानते है अपना सबसे बड़ा धर्म
नवीन चौहान, हरिद्वार। दीन दुखी मानव की सेवा करना मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है। जबकि असाध्य बीमारियों से जूझ रहे पीड़ितों की आर्थिक और खाद्य सामग्री देकर मदद करना साक्षात ईश्वर की भक्ति है। ऐसे ही मां गंगा की पुण्य धरा पर नेक काम हरिद्वार के व्यापारी कर रहे है। इन व्यापारियों की ओर से असाध्य और कुष्ठ रोगियों को लगातार खाद्य सामग्री की पूर्ति की जा रही है। ये कार्य एक दो सालों से नहीं अपितु दस सालों ने अनवरत जारी है। मंगलवार को व्यापारियों ने पांच कुष्ठ आश्रमों में खाद्य सामग्री दी। जिसके बाद व्यापारियों में आत्मसंतुष्टि की भाव हैं और कुष्ठ रोगी बेहद प्रसन्न है।
हरिद्वार के व्यापारियों ने करीब दस सालों पूर्व असाध्य बीमारियों से जूझ रहे कुष्ठ रोगियों को खाद्य सामग्री देने का संकल्प किया। जिसके लिये व्यापारियों ने मिलकर एक कुष्ठ एवं असहाय लोकसेवा समिति का गठन किया। इस समिति में शामिल सभी व्यापारी अपनी स्वेच्छा से दान देकर कुष्ठ रोगियों के लिये धन जुटाते है। जिसके बाद सभी एकत्रित धन से कुष्ठ रोगियों के लिये खाद्य सामग्री लेकर उनको वितरित करते है। हरिद्वार के चंडीघाट स्थित पांच कुष्ठ आश्रमों के लोगों को बुलाकर खाद्य सामग्री सुपुर्द कर दी जाती है। मंगलवार को कुष्ठ एवं असहाय लोकसेवा समिति से जुड़े सभी व्यापारी एकत्रित हुये और खाद्य सामग्री वितरित की गई। राशन में आटा, चावल, दाल,चीनी व तमाम मसाले इत्यादि दिया गया। जबकि राशन देने वालों में संस्था के अध्यक्ष नारायण आहूजा, सचिव दीपक सेठी, कोषाध्यक्ष सचिन अरोड़ा, चेयरमैन डॉ वीरेंद्र सिंह वर्मा, राकेश मल्होत्रा, अमरनाथ अरोड़ा,संजीव बब्बर, डॉ सुशील शर्मा, डॉ राजीव चौधरी, हरीश तनेजा, कुवंर बाली, राजकुमार एडवोकेट, गौतम गंभीर, सुगर सिंह, प्रदीप सेठी, डॉ भविष्य, डॉ श्रवण, डॉ पवन, डॉ अरुण चुग, देवीशरण, सरदार जसवीर सिंह बृजमोहन खन्ना, उपस्थित रहे।