नवीन चौहान, हरिद्वार। बीएसएनएल ऑफिस में अधिकारियों और कर्मचारियों की मौज बहार है। वह जब आयें जब जायंे ये उनकी इच्छा पर निर्भर करता है। भारत सरकार की ओर से ऑफिस दस बजे पहुंचने का नियम हरिद्वार बीएसएनएल के अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू नहीं होता हैं। हां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उनकी सेवादारी में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ते हैं। अधिकारियों को ऑफिस पहुंचते ही ठंडक मिले इसके लिये एक घंटा पूर्व एसी ऑन करके पंखे चालू कर दिये जाते हैं। जिससे ऑफिस पहुंचने के बाद साहब लोगों को कोई परेशानी ना हो। जनता के टैक्स से वेतन लेने वाले इन बीएसएनएल के अधिकारियों और कर्मचारियों की आत्मा भी काम करने के नहीं झकझोरती हैं। हां कुछ जिम्मेदार लोग जरूर अपने ऑफिस में काम करते दिखाई दिये। शायद ऐसे ही लोगों के कारण बीएसएनएल पर आज भी लोगों का भरोसा टिका है। इन तमाम हकीकत का खुलासा बीएसएनएल के एक उपभोक्ता की शिकायत के बाद हुआ है।
उपभोक्ता को सुबह करीब साढ़े दस बजे तक कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिला। उपभोक्ता की सूचना पर पहुंचे मीडियाकर्मी ने जब मौजूद कर्मचारी से अधिकारियों के ऑफिस पहुंचने का समय पूछा तो वह बगले झांकने लगा। इसी दौरान किसी ने अधिकारियों को सूचना दे दी। ऑफिस पहुंचे अधिकारियों को देरी से आने के कारण का जबाव देते नहीं बना और बहाने बनाने लगा। अधिकारियों की इसी ढींगा मस्ती के चलते ऑफिस के कर्मचारी भी लापरवाह हो चले है।
शनिवार की सुबह करीब दस बजे एक उपभोक्ता डॉ सुशील शर्मा अपने टेलीफोन के बिल संबंधी शिकायत लेकर बीएसएनएल ऑफिस पहुंचे। बीएसएनएल में कुछ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी काम करते दिखाई दिये। कोई मेज साफ कर रहा था तो कोई झाडू लगा रहा था। जब कर्मचारियों से साहब लोगों के आने का समय पूछा तो उनके पास कोई जबाव नहीं था। बस इतना बोले कि आ रहे होंगे। डॉ सुशील शर्मा ने कब तक आयेंगे ये पूछा तो कर्मचारी के पास कोई जबाव नहीं था। इसी दौरान डॉ सुशील शर्मा ने मीडिया को सूचना दी। करीब साढ़े दस बजे मीडियाकर्मी ने बीएसएनएल पहुंचकर अधिकारियों के आने की जानकारी जुटाई तो किसी के पास कोई जबाव नहीं था। साहब के कमरे का एसी ऑन था पंखे चल रहे थे। मीडियाकर्मी के आने की भनक अधिकारियों को लगी तो एक डीजीएम रैंक के अधिकारी वहां मीडियाकर्मी के पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि साहब रास्ते में है और आ रहे होंगे। जब कर्मचारियों के देरी से आने का कारण पूछा तो वह इधर-उधर की बाते करने लगे। कुल मिलाकर हरिद्वार बीएसएनएल में अधिकारियों और कर्मचारियों की मौज बहार है। उनको सरकारी वेतन मिल रहा है और काम करने की कोई जबावदेही नहीं है। उपभोक्ता परेशान होता है तो होने दो उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है। परेशान होने के बाद वह कनेक्शन ही तो बंद करा सकता है। इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता है। बताते चले कि बीएसएनएल के अधिकारियों ने कोई आधिकारिक बयान देने में कोई रूचि नहीं दिखाई।