हरिद्वार की राजनीति के चाणक्य मदन इस कारण हो गये फेल, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार।
निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अन्नु कक्कड़ को किसी मतदाता ने पसंद नहीं किया और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की रणनीति फेल हो गई इस बात को किसी हद तक भी सही नहीं ठहराया जा सकता है। आज भी हरिद्वार में मदन कौशिक का जलबा कायम है। जिसका नतीजा है कि हरिद्वार के करीब 56 हजार मतदाताओं ने अन्नु कक्कड़ को पंसद करते हुये उसकी पार्टी भाजपा को वोट किया। इससे साफ जाहिर है कि जनता ने भाजपा और मदन कौशिक दोनों को पसंद किया और दिल खोलकर वोट भी दिया। इसके बावजूद भाजपा की मेयर सीट करीब चार हजार वोट से हार गई और हरिद्वार की राजनीति के चाणक्य मदन कौशिक की रणनीति पर सवाल उठने लगे। आज न्यूज127 अपने पाठकों को भाजपा की मेयर सीट हारने की तीन सबसे बड़ी वजह का खुलासा करता है। जिसके कारण पहली बार हरिद्वार की राजनीति के चाणक्य मदन कौशिक को हार का मुंह देखना पड़ा।
भाजपा की हार का पहला कारण
पहला कारण- हरिद्वार में विगत दिनों रोडवेज बस स्टैंड के सराय में ले जाने को लेकर खूब हल्ला गुल्ला हुआ। कांग्रेसियों ने इस मुद्दे को खूब हवा दी। सड़कों पर उतरकर नारेबाजी और प्रदर्शन किये। जूलूस निकाले गये। कांग्रेस बस स्टैंड के मुद्दे पर हरिद्वार के श्रवणनाथ नगर की जनता के साथ रही। श्रवणनाथ नगर और हरिद्वार में कारोबारियों के निवास स्थान गोविंदपुरी और मॉडल कॉलोनी के आसपास है। यहां के कट्टर भाजपाई वोट भी कांग्रेस के पाले में गये। बस स्टैंड के स्थानांतरण का मुद्दा ही भाजपा की हार की सबसे पहली वजह बना। अगर भाजपा ने उस समय जनता का साथ दिया होता और उनकी सुनी होती तो षायद स्थिति ये ना होती।
भाजपा की हार का दूसरा कारण
केंद्र की भाजपा सरकार के दलित समाज को लेकर एक कानून पर पूरे देश एक बहस छिड़ी। भीम आर्मी ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। जिसका असर हरिद्वार में भी देखने को मिला। हरिद्वार में हजारों की संख्या में दलित समाज के लागे सड़कों पर उतरकर आ गये। एक बस तक फूंक डाली। हालांकि पुलिस की सूझबूझ से हालात पर तो काबू पा लिया गया। लेकिन भाजपा दलित समाज के दिलों में अपनी जगह बनाने में नाकाम रही। यही कारण रहा कि हरिद्वार के दलित बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा पार्शदों की हार हो गई। वार्ड नंबर 33, 34, 35, 36, 37 दलित बाहुल्य इलाकों से भाजपा को सबसे कम वोट मिले और उनके पार्षदों को हार का मुंह देखना पड़ा। मदन कौशिक इन इलाकों में रहने वाले लोगों की भावनाओं को समझने में नाकाम रहे।
तीसरा और सबसे अहम
हरिद्वार की राजनीति में मदन कौशिक का तिलिस्म वक्त के साथ बढ़ता ही जा रहा है। ये बात मदन के नजदीक रहने वाले कुछ भाजपाईयों को रास नहीं आ रही। उन्होंने भीतरघात किया। मदन कौशिक को इस बात की भनक तक नहीं लग पाई। चुनावी जनसभाओं में व्यस्त मदन कौशिक पार्टी प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिये दिन रात मेहनत करते रहे और उनके नजदीक रहने वाले विश्वासपात्र उनकी जड़ों को खोंदने का कार्य करते रहे। अब जब पहली बार मदन कौशिक चुनाव हारे है तो वह हर बात की बारीकि से समीक्षा भी कर रहे है। ऐसे में उनको अपने नजदीक रहने वाले लोगों पर एक बार फिर से विचार करना होगा। अन्यथा भविष्य में उनकी राजनीति को भी खतरा होगा।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *