नवीन चौहान, हरिद्वार। पांच राज्यों के चुनावी नजीजों में भाजपा चुनाव जरूर हार गई। लेकिन इन चुनाव परिणामों में मोदी की हार कहीं दिखाई नहीं दी। देश की जनता का विश्वास आज भी नरेंद्र मोदी पर कायम हैं। इस बात का अंदाजा मत प्रतिशत को देखकर लगाया जा सकता है। जीएसटी और नोटबंदी के कठिन फैसले मोदी ने देशहित में लिये। हालांकि भारत जैसे देश में किसी कानून को सख्ती से लागू कराना आसान नहीं है। फिर भी मोदी ने वो काम किया जो राजनैतिक लिहाज से एक कठिन निर्णय है।
भारत एक विशाल देश है। इस देश में विभिन्न जाति, धर्मो के लोग निवास करते हैं। देश की सत्ता लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चलती है। यहां चुनाव होते हैं और जो जनता के विश्वास को जीतने में कामयाब रहता है वो ही सत्ता के सिंघासन पर विराजमान होता है। साल 2014 में केंद्र की सत्ता में भाजपा ने कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर सत्ता हासिल की। भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर अपना विजय अभियान शुरू कर दिया। जिसके बाद लगातार भाजपा विभिन्न राज्यों में चुनाव जीतते चली गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के विजय रथ को आगे लेकर चलने लगे। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 22 राज्यों में चुनाव हुए जिसमें से भाजपा ने 13 राज्यों में अपनी सरकार बनाई। भाजपा की अभी भी 18 राज्यों में सरकार है। लेकिन हाल में हुए पांच राज्यों में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के चुनावों में भाजपा के विजय रथ को ब्रेक लग गया। इन सभी राज्यों के चुनाव परिणामों की अलग-अलग समीक्षा करें तो पायेंगे की भले ही भाजपा चुनाव हार गई हो लेकिन मोदी की स्वीकार्यता को भी नकारा नहीं जा सकता है। मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां भाजपा के शिवराज सिंह चौहान करीब डेढ़ दशक से सत्ता में थे। सत्ताधारी पार्टी से लोगों की कुछ नाराजगी भी होती है। लेकिन फिर भी शिवराज सिंह चौहान ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया और मत प्रतिशत को बरकरार रखा। हालांकि सत्ता की कुर्सी से वह दूर है। वही राजस्थान की बता करें तो भाजपा की बसुंधरा राजे की सरकार से जनता की नाराजगी जगजाहिर थी। राजघराने से ताल्लुक रखने वाली बसुंधरा राजे की आम आदमी के विश्वास को जीतने में सफल नहीं हो पाई। फिर भी मोदी पर विश्वास जताते हुये जनता ने भाजपा को वोट दिया और मत प्रतिशत बरकरार रहा। हालांकि भाजपा सत्ता से बेदखल हो गई। अब बात छत्तीसगढ़ की करें तो भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से वहां की जनता बहुत नाराज दिखाई दे रही थी। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सबसे लंबी पारी खेलने वाले मुख्यमंत्री रहे। यहां भी मोदी का जादू चला और वोट प्रतिशत बरकरार रहा। तेलंगाना की बात करें तो यहां भाजपा का असर ज्यादा कभी नहीं रहा। फिर भी भाजपा का प्रयोग सफल ही माना जायेगा। अब बात मिजोरम की करते है। मिजोरम में जोरामथांगा की 10 साल बाद जोरदार तरीके से वापिसी हुई है। मिजोरम में हर दस साल बाद सत्ता परिवर्तन होता है। यहां जनता ने कांग्रेस को तो बुरी तरह नकार ही दिया। लेकिन भाजपा ने एक सीट जीतकर मिजोरम में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। इन सभी चुनाव परिणामों पर गौर किया जाये तो भाजपा भले की सत्ता से दूर हो लेकिन मोदी पास होते दिखाई दिए है। ये भाजपा के लिये अच्छा संकेत भी है और सोचने का समय भी। किसी पार्टी के अस्तित्व को कभी नकारा नहीं जा सकता है और ना ही मिटाया जा सकता है। अपने काम और जनता के विश्वास से आप अपना बेहतर प्रदर्शन कर सकते है। शायद कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की मोदी की भूल ही उनको भारी पड़ गई। मोदी के इन अंहकारी शब्दों ने आज उनको एक सबक दिया है। यदि देश की जनता को सुशासन दिया जायेगा तो आपको कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का नारा देने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। जनता आपके काम को देखकर वोट करेंगी। राजनैतिक लिहाज से मोदी के अंहकारी शब्दों के लिये भारत के इतिहास में एक बड़ी घटना है। लोकसभा चुनाव में उतरने से पूर्व भाजपा के नेतागण राहुल गांधी का उपहास उड़ाने की वजाय अपना बेहतर प्रदर्शन जनता के सामने रखे तो शायद ज्यादा अच्छा होगा।