श्री चेतनानंद गिरी आश्रम के महंत की जिम्मेदारी स्वामी रामानंद गिरी को सौंपी




महंतों और संतों ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज को दी श्रद्धांजलि
नवीन चौहान
हरिद्वार। श्री चेतनानंद गिरी आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद गिरी महाराज की श्रद्धांजलि सभा में महामंडलेश्वर, महंत और संतों की मौजूदगी को आश्रम की महंताई सौंपते हुए स्वामी रामानंद गिरी महाराज के पट्टाभिषेक किया। इस दौरान निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद गिरी महाराज एक दिव्य संत थे। उनके ब्रह्मलीन होने से संत समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है।
सोमवार को महानिर्वाणी अखाड़े के पंचपरमेश्वर के सानिध्य में संन्यास रोड स्थित श्री चेतनानंद गिरी आश्रम में आयोजित ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद गिरी महाराज की षोड़शी व स्वामी रामानंद गिरी महाराज के पट्टाभिषेक के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता कर रहे स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा कि संत समाज के प्रेरणा स्रोत ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद गिरी महाराज एक विद्वान संत थे।
सनातन धर्म को ऊंचाईयों पर ले जाने में उनके योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा। महंत नियुक्त किए गए स्वामी रामानंद गिरी महाराज को आशीर्वाद प्रदान किया। ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद गिरी के परम शिष्य स्वामी रामानंद गिरी महाराज अपने गुरू के दिखाए मार्ग पर चलते उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ांएगे। सूरत गिरी बंगला आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। गुरू के सानिध्य में ही शिष्य के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा कि संत समाज सदैव ही प्राणीमात्र के उद्धार में अपना जीवन समर्पित करता रहा है। ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी द्वारा चलाए गए समाज सेवा के प्रकल्प सभी को प्रेरित करते हैं। संत समाज को आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आश्रम के महंत नियुक्त किए गए ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज के शिष्य स्वामी रामानन्द गिरी महाराज अपने गुरू द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ाते हुए संत सेवा व देश में अपना योगदान करेंगे। महामंडलेश्वर स्वामी कमलानन्द गिरी, म.म.स्वामी सोमेश्वरानन्द गिरी महाराज ने श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें एक महान संत बताया। स्वामी रामानंद गिरी महाराज ने संत समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संत महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी आत्मा अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करने के लिए सदैव व्यवहारिक रूप से उपस्थित रहती है। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज की शिक्षाओं व उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए उनके अधूरे कार्यो को पूर्ण किया जाएगा। गुरूदेव द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों में वृद्धि कर मानव कल्याण में योगदान किया जाएगा। गुरू परम्पराओं का निर्वहन निष्ठापूर्वक किया जाना चाहिए। आदि अनादि काल से भारतवर्ष में चली आ रही गुरू शिष्य परम्परा का अनुसरण युवा संतों को भली भांति करना चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे महंत रविंद्रपुरी महाराज व म.म.स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि सभी को संत समाज की महान विभूति ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद गिरी महाराज के दिखाए मार्ग व उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए समाजोत्थान में अपना योगदान देना चाहिए। इस अवसर पर स्वामी कृष्णानन्द गिरी, महामंडलेश्वर प्रेमानंद गिरी, महामंडलेश्वर कमलानन्द गिरी, महामंडलेश्वर सोमेश्वरानंद गिरी, स्वामी आनन्द चैतन्य, म.म.स्वामी ईश्वरानन्द स्वामी परमानन्द, हनुमान बाबा, म.म.स्वामी गिरधर गिरी, स्वामी विष्णुदास, स्वामी सुरेंद्र मुनि आदि सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महंतों ने ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानन्द गिरी महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए तिलक चादर प्रदान कर आश्रम के महंत नियुक्त किए गए स्वामी रामानन्द गिरी महाराज को शुभकामनाएं व आशीर्वाद प्रदान किया।



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