खुली छत के नीचे जीआरपी ऑफिसर, रेल मंत्री को नहीं पता जीआरपी का अंतर




नवीन चौहान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के सरकार में सबसे अहम रेल मंत्रालय संभालने वाले रेल राज्य मंत्री मनोज सिंहा को जीआरपी की सुविधाओं की कोई सुध नहीं है। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने वाले जीआरपी ऑफिसर के लिए एक अदद ऑफिस तक की व्यवस्था नहीं है। जीआरपी के लिए बैरक तक का अभाव है। हालांकि हरिद्वार पहुंचे रेल राज्य मंत्री मनोज सिंहा ने हरिद्वार जीआरपी और आरपीएफ के लिए सुविधा युक्त ऑफिस का लोकापर्ण करने की बात की है। जबकि जीआरपी ऑफिसर खुली छत के नीचे बैठकर ही सरकारी कार्य को पूरा कर रहे है।
गुरूवार को भारत सरकार के रेल राज्य मंत्री मनोज सिंहा हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर नवनिर्मित विश्रामालय और प्रतीक्षालय का उदघाटन करने हरिद्वार पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने हरिद्वार और देहरादून रेलवे स्टेशन का उच्चीकरण करने की बात कहीं। इसके अलावा पार्किंग की व्यवस्था देने की बात कही। जब मीडियाकर्मी ने रेल मंत्री मनोज सिंहा से जीआरपी ऑफिसर के लिए ऑफिस देने की बात की तो उन्होंने कहा कि जीआरपी और आरपीएफ के लिए नये भवन का लोकापर्ण कर दिया गया है। ऐसे में मंत्री महोदय को ये भी नही मालूम जिस भवन का लोकापर्ण किया गया है। वो भवन आरपीएफ और जीआरपी के लिए है। जबकि जीआरपी के एसपी आफिस के लिए किसी स्थान का चयन तक नहीं किया गया है। ऐसे में रेलवे की महत्वपूर्ण सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाली जीआरपी आफिसर असमंजस की स्थिति में है और विषम परिस्थितियों में कार्य कर रहे है। बताते चले कि साल 2015 में जीआरपी में एसपी का पद सृजित किया गया था। जिसके बाद जीआरपी के एसपी के लिए भवन व पुलिसकर्मियों के बैरिकों की जरूरत थी। पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए पुलिस लाइन की जरूरत थी। लेकिन रेलवे प्रशासन ने जीआरपी की कोई सुध नहीं ली। रेलवे प्रशासन की उदासीनता के चलते जीआरपी के एसपी 40वी वाहिनी पीएसी के भवन पर काबिज है। हालांकि जीआरपी एसपी के आफिसर के लिए भवन बनने के बाद रेलवे प्रशासन और जनता को सुरक्षा में काफी मदद मिलेंगी।



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