नवीन चौहान
डिजिटल युग में सोशल मीडिया का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिसके चलते जहां सूचनाओं का आदान—प्रदान तेजी से हो रहा है। वही व्हाट्सएप पर फर्जी खबरों का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। इन फर्जी खबरों के फैलने से रोकने के लिए देहरादून पुलिस ने पुलिस लाइन स्थित सभागार में डिजिटल इम्पावरमेंट फाउंडेशन नई दिल्ली के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला में वर्तमान समय में सोशल मीडिया (वाटसएप के माध्यम से) पर प्रचारित होने वाली फेक न्यूज/ अफवाह/ साम्प्रदायिक मैसेजों की रोकथाम हेतु पुलिस अधिकारी/कर्मचारीगणों को जानकारी दी गई। डिजिटल इम्पावरमेंट फाउंडेशन नई दिल्ली संस्था के सोशल मीडिया विशेषज्ञ रवि गुरिया ने पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी गणों को बताया कि जो मैसेज वाटसएप के माध्यम से प्रसारित किये जाते है। उनकी सत्यता का पता किस प्रकार लगाया जाए।
फ़ोटो और वीडियो पर जल्दी यकीन न करें
कार्यशाला में बताया कि सोशल मीडिया पर प्रचारित फोटो,ऑडियो और वीडियो आपको बहकाने के लिए भी भेजे जाते हैं, उनमें दिखाया गया घटनाक्रम हमेशा सच नहीं होता, अगर खबर सच्ची होगी तो अवश्य ही किसी न्यूज़ चैनल/अखबारों या रेडियो पर भी दिखाई या सुनाई जाएगी, इसलिए खबर की सच्चाई का पता लगाएँ, जब कोई खबर कई जगह छपती है तो उसके सच होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। संदेशों या वेबसाइट्स के लिंक में अगर गलत स्पैलिंग होती है तो उनमें शामिल खबर झूठी होती है, इन संकेतों को देखें ताकि आप पता लगा सकें कि जानकारी सही है या नहीं। शेयर करने से पहले फैक्ट्स की अच्छे से जाँच कर लें,
अगर आपको किसी ने ऐसा संदेश भेजा है जो आपको लगे कि सच नहीं है, तो जिसने आपको वह संदेश भेजा है उससे संदेश के सच होने का प्रमाण माँगें और अगर वह आपको संदेश के सच होने का प्रमाण न दे सकें तो उन्हें ऐसे संदेश भेजने से मना करें, अगर कोई ग्रुप में या कोई व्यक्ति बार-बार अफ़वाहें या झूठी खबरें भेजता है, तो उसकी रिपोर्ट करें।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने पुलिस अधिकारी/कर्मचारीगणों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मीडिया प्लेटफार्मों का प्रयोग करते समय प्रचारित होने वाले वीडियो/ फोटो/ संदेश की बिना सत्यता जांचे उनको आगे प्रसारित कर दिया जाता है या उन्हें इस बात की जानकारी नही होती कि उक्त वीडियो/ फोटो/ संदेश की सत्यता की जांच हम किन माध्यमों से कर सकते है। इस कार्यशाला को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य उपस्थित पुलिस कर्मियों को ऐसे माध्यमों की जानकारी देना है, जिससे हम उन फेक वीडियो/ फोटो/ संदेश की जांच कर उन्हें प्रचारित प्रसारित होने से रोक सकते है अथवा उनका खंडन कर सकते है।