वेदार्थ के ज्ञान में संस्कृत व्याकरण की महत्ता को बताया




नवीन चौहान
गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के द्वारा आयोज्यमान सप्त दिवसीय अन्तर्जालीय कारकविषयक कार्यशाला के चतुर्थ दिवस प्रारम्भ में मुख्यवक्ता के रूप में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डा० वाचस्पति मिश्र ने वेदार्थ के ज्ञान में संस्कृत व्याकरण की महत्ता प्रतिपादित की।
चतुर्थ दिवस के प्रथम विशिष्टवक्ता के रूप में गुजरात के साबरकाँठा महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डा० भावप्रकाश ने चतुर्थी विभक्ति पर बोलते हुये कहा कि जिसको उद्दिष्ट करके कोई वस्तु दी जाए उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है। जैसे विप्राय गां ददाति (ब्राह्मण को गाय देता है)। यहाँ ब्राह्मण के लिए गाय प्रदान करता है अत: ब्राह्मण सम्प्रदान कारक है तथा इसमें विप्र (ब्राह्मण) के योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग किया गया है।
आज के कार्यक्रम के द्वितीय विशिष्टवक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय, संस्कृत विभाग के प्रोफेसर सत्यपाल सिंह ने वेबिनार में सभी प्रतिभागियों को कारक पर व्याख्यान दिया| उन्होने कहा कि कारक शब्द का अर्थ होता है– क्रिया को करने वाला। क्रिया को करने में कोई न कोई अपनी भूमिका निभाता है, उसे कारक कहते है। अथार्त संज्ञा और सर्वनाम का क्रिया के साथ दूसरे शब्दों में संबंध बताने वाले निशानों को कारक कहते है। कर्म कारक पर उन्होने बताया कि जिस संज्ञा या सर्वनाम पर क्रिया का प्रभाव पड़े, उसे कर्म कारक कहते है। दूसरे शब्दों में -वाक्य में क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है। इसकी विभक्ति ‘को’ है। लेकिन कहीं-कहीं पर कर्म का चिन्ह लोप होता है। कारक, जिन शब्दों का क्रिया के साथ साक्षात् संबंध होता है, उन्हें कारक कहते हैं (क्रियान्वयित्वं कारकत्वम्)। क्रिया तथा द्रव्य का संयोग करने वाले शब्दों को कारक कहते हैं। जिन शब्दों का क्रिया से साक्षात् संबंध नहीं होता, वे कारक नहीं कहलाते, जैसे – सम्बन्ध।

गुरुकुल काँगडी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो० सोमदेव शतांशु ने सभी विद्वज्जनों एवं समस्त प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये वर्तमान समय में संस्कृत की उपादेयता प्रतिपादित की। विश्वविद्यालय के प्राच्यविद्यासंकाय के अध्यक्ष प्रो० ब्रह्मदेव विद्यालंकार ने सभी प्रतिभागियों का धन्यावाद व्यक्त किया। इस अवसर पर इस वेबिनार में प्रो० संगीता विद्यालंकार, डा० वीना विश्नोई, डा० मौहर सिंह, डा० वेदव्रत, डा० पंकज कौशिक, हेमन्त सिंह नेगी तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों से लगभग ७०० से अधिक प्रतिभागी समुपस्थित थे।



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