नवीन चौहान
गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में नियम उल्लंघन का बड़ा मामला सामने आया है। परिवारवाद के आरोपों में फंसे इस विश्वविद्यालय ने एक बार फिर अस्वस्थ परंपरा की नींव रख दी। एक प्रोफेसर के बेटे को लाभ पहुंचाने के लिए चार साल के बाद अंक सुधार परीक्षा संपन्न करा दी, जबकि वह एम फार्मा की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुका था। उसे बी फार्मा के अंक बढ़वाने के लिए परीक्षा आयोजित करने से पूर्व बाकायदा एक प्रस्ताव बनाकर डीन कमेटी की बैठक में रखा गया। कुलपति डॉ रूप किशोर शास्त्री ने इस प्रस्ताव पर सहमति देने हुए परीक्षा संपन्न कराने को हरी झंडी दिखा दी।
स्वामी श्रद्धानंद की तपस्थली गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय परिवारवाद का उदाहरण पेश करती रही है। इस विश्वविद्यालय से जुड़े तमाम लोग अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए नए—नए पैतरों का इस्तेमाल करते रहे है। साल 2020 में भी गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाया। विश्वविद्यालय में सेवा दे रहे एक प्रोफेसर के बच्चे के बी फार्मा पास करने के चार साल बाद उसकी अंक सुधार परीक्षा कराने की पटकथा तैयार की गई। जबकि प्रोफेसर का बेटा एम फार्मा भी पूरी कर चुका था। हालांकि कुलपति डॉ रूप किशोर शास्त्री ने इस अंक सुधार परीक्षा के सवालों पर गोलमोल जवाब दिए। पहले तो इस परीक्षा पर अनभिज्ञता जाहिर की, उसके बाद इस प्रकरण को हेड और डीन कमेटी के निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि मीटिंग के निर्णय की प्रति आपको दी जाएगी।