नेताओं के रूठने मनाने का दौर जारी, एक को मनाओं को दूजा रूठ जाता हैं




नवीन चौहान,
लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो चली हैं। सियासी पार्टियों के नेता पूरे तेवर दिखा रहे है। पार्टी की गुटबाजी और भीतरघात को रोकने के लिए नेताओं की मान मनोव्वल की जा रही है। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि एक को मनाओं को दूजा रूठ जाता है। ऐसा ही रूड़की में देखने को मिला। जब सुरेश चंद्र जैन को भाजपा में एक बार फिर शामिल किया गया तो सिटिंग विधायक प्रदीप बत्रा के नाराज होने की बात सामने आ गई। फिलहाल रूठने मनाने का सिलसिला जारी है।
हरिद्वार में भाजपा और कांग्रेस बड़े जनाधार वाली पार्टियां है। वही बसपा का भी कैडर वोट है। तीनों की पार्टियों में गुटबाजी हावी है। बसपा प्रत्याशी अंतरिक्ष सैनी के नाम का काफी विरोध हुआ। जब अंतरिक्ष सैनी टिकट लेकर मैदान में आ डटे तो उन्होंने पार्टी के नेताओं को मनाने का कार्य किया। काफी हद तक पार्टी के नेताओं को राजी कर लिया। नाराज नेताओं का राजीनामा बाहरी है या आंतरिक ये तो चुनाव परिणामों के बाद ही पता चलेगा। बात भाजपा की करें तो प्रत्याशी डॉ रमेश पोखरियाल निशंक इस मामले में भाग्यशाली है। उन्होंने भाजपा के तमाम विधायकों को अपने पक्ष में पहले से कर रखा है। हां विधायक प्रणव सिंह चैंपियन की नाराजगी को दूर करने के लिए निशंक को कुछ एक्रसाइज तो करनी पड़ेगी। आखिरकार वो पहलवान भी है। हालांकि प्रणव सिंह चैंपियन बड़े सहज दिल और नम्र स्वभाव के है लेकिन उनके तेवर कड़क है। बहराल राजनीति के खेल में माहिर निशंक चैंपियन को मनाने में कामयाब हो ही जायेंगे। अब देखना होगा कि वो बाहरी होगा या आंतरिक ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। अब बात कांग्रेस की करते है यहां तो हालात पहले से ही बिगड़े है। अभी कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित नही हुआ और विरोध कई महीनों से जारी है। कोई बाहरी तो कोई स्थानीय नेता दावेदारी कर रहा है। यहां स्थिति बहुत विकट है। जिसको टिकट मिलेगा उसके नाम से कितने कांग्रेसी नेता सहमत होंगे ये तो कल तक पता चल जायेगा। लेकिन रूठने मनाने का सिलसिला इस पार्टी में भी चलेगा। कुल मिलाकर कहा जाए तो चुनाव अपने रंग में दिखाई देने लगा है। अभी तो ये शुरूआत है। आगे-आगे देखो होता है क्या।



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