शिक्षा विभाग रजाई में बैठकर भेज रहे छुट्टी के आदेश, बच्चे स्कूल में




नवीन चौहान
हरिद्वार का शिक्षा विभाग बच्चों की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर कतई संवेदनशील नही है। बच्चों को छुट्टी के आदेश तब भेजे जा रहे है जब बच्चे स्कूल में प्रवेश तक कर गए। ऐसे में स्कूल प्रबंधन के सामने असमंजस की स्थिति है कि स्कूल खोला जाए या बंद किया जाए। क्योकि बच्चों को स्कूल लाने वाले वाहन को छुट्टी के निर्धारित वक्त पर ही स्कूल गेट पर पहुंचेगे। वही दूसरी ओर शिक्षा विभाग के आदेश का प्रारूप इस तरह है कि उसको तस्दीक कर पाना ही मुश्किल है। वो सरकारी आदेश है या किसी ने सरकारी आदेश से छेड़खानी करने के फेक मैसेज वायरल किया है। फेक मैसेज पूर्व में भी कई मर्तफा हरिद्वार में वायरल हो चुके है। ऐसे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के रजाई में बैठकर बच्चों को भेजे जाने वाले आदेश बेमानी है। वही स्कूल प्रबंधन पशोपेश की स्थिति में है और स्कूली बच्चे कंधों पर बैंग टांगे घर—स्कूल और घर के बीच दौड़ लगा रहे है।
बताते चले कि सर्दी के मौसम में ठंड अपने चरम की ओर अग्रसरित हो रही है। पारा चार डिग्री तक पहुंच चुका है। सड़कों पर घना कोहरा छाया हुआ है। सूरज के दर्शन नही हो रहे है। सड़कों पर रोशनी बेहद कम है। सड़कों पर नजदीक से गुजरने वाले वाहन तक नजर नही आ रहे है। ऐसे में जिला प्रशासन इन स्कूली बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मौसम की स्थिति को देखते हुए स्कूल बंद रखने के आदेश जारी करता रहा है। जिलाधिकारी की अनुमति मिलने के  बाद शिक्षा विभाग की ओर से सभी सरकारी स्कूल, निजी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूल बंद करने के आदेश भेजे जाते है। सोशल मीडिया के दौर में सभी मैसेज मोबाइल पर व्हाट्सएप के जरिए या ईमेल से भेजे जाते है। लेकिन इसमें भी सबसे बड़ी दिक्कत की बात ये है कि मैसेज देर रात्रि या सुबह स्कूल खोले जाने के बाद तक स्कूलों में पहुंचते है। जबकि सरकारी स्कूलों का हाल ये है कि बच्चों को मैसेज पहुंचाने की कोई सुविधा नही है। सरकारी स्कूल के बच्चे तो बैंग कंधे पर डाले स्कूल और घर के बीच भटकते रहते है। सरकारी स्कूलों में बच्चों को  छुट्टी का आदेश पहुंचाने की कोई व्यवस्था नही बनाई गई है। 28 दिसंबर 2019 के छुट्टी के आदेश की बात करें तो सुबह करीब 8 बजे ये मैसेज मीडिया या स्कूल प्रबंधन के मोबाइल पर पहुंचा। जबकि 27 दिसंबर की बात करें तो शिक्षा विभाग की ओर से छुटटी का मैसेज करीब रात्रि 9 बजे के बाद भेजा गया। ऐसे में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है कि स्कूल प्रबंधन किस तरह बच्चों को सूचना पहुंचा पाए। शिक्षा विभाग को अपनी कार्यशैली को बेहतर बनाने की जरूरत है। ताकि सूचनाओं का आदान प्रदान ठीक प्रकार से हो।



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