नवीन चौहान
उत्तराखंड में विकास की गाड़ी का पहिया सरपट दौड़ाने का दंभ भरने वाली भाजपा की डबल इंजन की सरकार के ब्रेक फेल होते दिखाई पड़ रहे है। सरकार से असंतुष्ट निजी स्कूलों के बाद अब निजी चिकित्सक भी सरकार के खिलाफ हो गए है। निजी चिकित्सकों का ये विरोध क्लीनिक स्टैब्लिशमेंट एक्ट की खामियों को लेकर है। इसी एक्ट के विरोध में हरिद्वार की आईएमए, आईडी और आयुष चिकित्सकों ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से सड़कों पर उतरकर उत्तराखंड सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ नारेबाजी की और एक्ट के नियमों में परिवर्तन करने की मांग बुलंद की। सभी चिकित्सकों ने एक स्वर में आवाज उठाई कि सरकार जो मानक अपने सरकारी अस्पतालों में पूरे नही करती है। उन मानकों को जबरन निजी चिकित्सकों पर थोप रही है। उन्होंने कहा कि अपनी मांगे पूरी नही होने तक हरिद्वार जनपद के सभी निजी चिकित्सक और एसोसियेशन अपने प्रतिष्ठान को बंद रखेंगे और सरकार के इस एक्ट का विरोध करेंगे।
करीब एक सप्ताह से हड़ताल कर रहे हरिद्वार के निजी चिकित्सकों की एसोसियेशन शुक्रवार को सड़कों पर उतर आई। सभी चिकित्सक सुबह 11 बजे चंद्राचार्य चौक पर एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसके बाद एक जुलूस के रूप में चिकित्सकों के संगठनों ने सिटी मजिस्टेªट कार्यालय तक रैली निकाली और इस दौरान जोरदार तरीके से नारेबाजी की। जुलूस निकालने के दौरान सभी चिकित्सकों ने एक स्वर में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में परिवर्तन करने और मानकों में ढिलाई देने की मांग की। इसके बाद प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए चिकित्सकों ने अपनी समस्या बताई। आईएमए के अध्यक्ष डॉ जसप्रीत सिंह ने बताया कि सरकार निजी अस्पतालों का उत्पीड़न कर रही है। निजी चिकित्सकों पर ऐसा कानून थोप रही, जिसके बाद अस्पताल को चलाये रखना असंभव हो जायेगा। डॉ विपिन मेहरा ने बताया कि हम सरकार के बनाये एक्ट का विरोध नही कर रहे है। बल्कि एक्ट में परिवर्तन की मांग कर रहे है और हरियाणा की तर्ज पर ही उत्तराखंड में एक्ट बनाने की मांग कर रहे है। डॉ सुशील शर्मा ने बताया कि उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों में इस एक्ट के अनुरूप अस्पतालों को चलाना मुश्किल हो जायेगा। जिसके कारण मरीजों को मंहगा इलाज मिलेगा। डॉ राजीव चौधरी ने कहा कि इस एक्ट पर सरकार की चुप्पी निजी अस्पतालों को संकट में डाल रही है। इससे मरीजों और अस्पतालों की मुश्किले बढ़ती जा रही है। डॉ संजय शाह ने कहा कि जब तक एक्ट में परिवर्तन नही होगा तब तक हम सभी उत्तराखंड राज्य के चिकित्सक पुरजोर विरोध करेंगे और अपना अस्पताल बंद करने के लिए मजबूर रहेंगे। डॉ एसके शर्मा और डॉ भविष्य ने कहा कि सरकार को चिकित्सकों के हित में बड़ा दिल दिखाते हुए समस्या को दूर करना चाहिए। ऐसा एक्ट बनाया जाए जो चिकित्सकों और मरीजों के हित में हो। इस दौरान डॉ त्रिभुवन शर्मा, डॉ विकास दीक्षित, डॉ प्रेमी, डॉ विपिन लूथरा, डॉ दिनेश सिंह, डॉ माल्से, डॉ राम शर्मा, डॉ संध्या शर्मा, डॉ विरेंद्र वर्मा, डॉ ऋषभ दीक्षित, डॉ दीपक कुमार, डॉ रश्मि कुमार, डॉ विनीता कुमार, डॉ रूचि गुप्ता, डॉ श्मशाद, डॉ रविंद्र, डॉ धीरज चौधरी, डॉ एचके सिंह, डॉ सुशील कुरील, डॉ दीपा शर्मा सहित हरिद्वार के सैंकड़ों चिकित्सक मौजूद रहे।
मदन भी नही कर पाए मदद
निजी चिकित्सकों ने एक्ट में परिवर्तन कराने को लेकर केबिनेट मंत्री मदन कौशिक से मदद करने की गुहार लगाई थी। मदन कौशिक ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात करने का भरोसा दिया था। लेकिन 48 घंटे बीतने के बाद भी मदन कौशिक निजी चिकित्सकों को कोई संतोषजनक जबाव नही दे पाए। जिसके बाद चिकित्सकों में मदन कौशिक के खिलाफ भी रोष दिखाई दिया। चिकित्सकों को मदन कौशिक से काफी उम्मीदे थी।