नवीन चौहान
उत्तराखंड के निजी चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम पर एक खुला पत्र सोशल मीडिया पर जारी किया है। चिकित्सकों ने पत्र में उत्तराखंड सरकार को असंवेदनशील सरकार बताया है। इस पत्र के मजमूम को पाठकों के बीच लेकर आए है। ताकि मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्री,नौकरशाह, जनप्रतिनिधि और जनता निजी चिकित्सकों की समस्या को जान सकें और समझ सके। आखिरकार निजी चिकित्सको को किस बात की समस्या है। चिकित्सकों की सरकार से क्या अपेक्षाएं है। सरकार को चिकित्सकों की बात को सुनना चाहिए और क्लीनिकल इस्टैब्लिेशमेंट एक्ट की अव्यवहारिक चीजों को हटाकर जनहित में लागू करना चाहिए। ताकि निजी चिकित्सकों और आम जनमानस को इस एक्ट से फायदा मिले।
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हमारी संस्कृति ने हमें सिखाया है कि जो इंसानियत की सेवा करते है उनका सम्मान करो।
उत्तराखंड यू पी का एक पिछड़ा इलाक़ा था जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं की अत्याधिक कमी थी। पहाड़ और तराई की जनता सैकड़ों मील चलकर गिने चुने नर्सिंग होमों में डाक्टरों से अपना ईलाज करवाती थी। ये छोटे छोटे अस्पताल पिछले 10-50 सालों से इस ग़रीब जनता का ईलाज कर रहे है।
यह एहसान फ़रामोश सरकार अब उन पर धौंस दिखा रही कि काले क़ानून सी ई ए के हिसाब से कमरे और टायलेट का साईज़ हो।
जो मेरा असिस्टेन्ट बीसों साल से मेरे साथ है उसे कैसे निकाल बाहर करूँ। कैसे मैं उसके बच्चों को सड़क पर ला दूँ जिसने मेरे बच्चों को कन्धे पर खिलाया हो। जिसने हर दुख सुख में मेरा साथ दिया है।
माननीय मुख्यमन्त्री जी क्या ये देवभूमि की संस्कृति है कि जो बूढ़ा हो जाये उसे लात मार कर निकाल दो। क्या यहाँ कि जनता भूल जायेगी कि कैसे सिंह /खन्ना /गुप्ता /लूथरा/पाण्डे/तिवारी/रावत डाक्टर ने विपरीत परिस्थियाँ में कम पैसे में एक छोटे से कमरे में सालों साल उनका ईलाज किया है नहीं ये जनता आपको कभी माफ़ नहीं करेगी।
पहले सरकार ने कन्ज्यूमर फ़ोरम लागू कर ईलाज थोड़ा महँगा करवाया था
पर अब सी ई ए लागू कर ईलाज अत्याधिक मंहगा करवाना चाहते हो कि उसके टैक्स से ही आपका ख़ज़ाना भर जाये।
आप प्राईवेट मेडिकल कालेज चलवा रहे हो क्योंकि वहाँ करोड़ों की फ़ीस मे से आपका हिस्सा होता है। करोड़ों की फ़ीस लेकर आप डाक्टर को व्यापारी बना रहे हो।
महँगी ब्रान्डेड दवाओं की कम्पनी बन्द करना आपके हाथ में है मगर सरकार उन्हें क्यों बन्द करेगी क्योंकि फिर चुनाव में करोड़ों रूपये चन्दा किससे लोगे।
एक तरफ़ तो सरकार अपने अस्पताल तो ढंग से चला नहीं पा रही है उनको पी पी मोड (प्राईवेट तरीक़े )पर दे रही है। दूसरी तरफ़ प्राईवेट अस्पतालो को बन्द करवाने पर तुली है। अगर ये अस्पताल बन्द हो जायेंगे तो प्रदेश की ग़रीब जनता आयुष्मान योजना में निःशुल्क ईलाज कहा करवायेगी। क्या ये योजना भी एक जुमला है।
सबका साथ सबका विकास की जगह आपके सरकार सिर्फ़ कुछ चुनिंदा नौकरशाहों और कारपोरेट घरानों के फ़ायदे की बात कर रही है। जो केवल उनके इशारे पर चलने वाले महँगे कारपोरेट हास्पिटलो के पक्ष में है। ये जनता का कितना नुकसान कर रहे है उसकी बानगी आप देहरादून में देख ही चुके हो। क्या यहाँ की ग़रीब जनता पॉच लाख की आयुष्मान योजना से 15-20 लाख का बिल भर सकेगी। ऐसा तो नहीं है कि योजना का पैसा इन महँगे अस्पतालो से आप टैक्स के रूप में (नाक घुमा कर पकड़ कर)वापस लेने का विचार है। सरकार इन्हीं कारपोरेट घरानों को सरकारी अस्पताल भी पी पी मोड़ पर दे रही है जो घोटाले कर रहे है।
आप इन नौकरशाहों के बहकावे में आकर प्रदेश में फ़ैमिली डाक्टर की प्रथा को समाप्त कर रहे हो।
आप दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के मुख्यमंत्री होकर प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हो आप से एेसी आशा ना थी।
उम्मीद है आप प्रदेश के डाक्टरों एवं जनता के हित में निर्णय लेंगे।