नवीन चौहान
जहरीली शराब प्रकरण के बाद डीएम दीपक रावत की कार्यशैली को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है। हरिद्वार का एक बड़ा तबका डीएम दीपक रावत के पक्ष में मुहिम चला रहा है तो कुछ उनके विरोध में सवाल उठा रहे है। आखिरकार डीएम की कार्यशैली को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। दीपक रावत एक बार फिर सुर्खियों में है। जबकि इस जहरीली शराब प्रकरण में सबसे ज्यादा जबावदेही वाले जिम्मेदार जिला आबकारी अधिकारी प्रशांत पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। अगर हरिद्वार आबकारी विभाग ने अपने कर्तव्य का पालन पूरी निष्ठा से किया होता तो अवैध शराब की भट्टियां चलाने वाले तस्करों की जड़े इतनी मजबूत नहीं होती। ना ही इतने लोगों की अकाल मृत्यु होती। सबसे बड़ी बात ये कि उत्तराखंड सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत और ना ही आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने जिला आबकारी अधिकारी पर कोई एक्शन लिया है। जिसके बाद से भाजपा सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है।
हरिद्वार में विगत दिनों जहरीली शराब के सेवन से करीब तीन दर्जन लोगों की अकाल मृत्यु हो गई। जबकि कई लोग अभी भी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे है। जहरीली शराब पीने से सबसे ज्यादा मरने वालों में यूपी के सहारनपुर के लोग रहे। वहां मौत का आंकड़ा 60 के पार पहुंच गया। हरिद्वार में जहरीली शराब का प्रकरण सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। हरिद्वार की जनता अवैध शराब के कारोबार को पूरी तरह से बंद कराना चाहती है। वही दूसरी ओर सोशल मीडिया पर जिलाधिकारी हरिद्वार दीपक रावत को लेकर भी बहस छिड़ी है। दीपक रावत की सोशल मीडिया पर सक्रियता और उनके एक्शन भी चर्चाओं में है। इसी के चलते हरिद्वार के कुछ प्रबुद्ध नागरिकों ने फेसबुक पर दीपक रावत की ईमानदार कार्यशैली और कर्तव्यपरायणा की बात की है। वही दूसरा वर्ग डीएम दीपक रावत के विरोध में है। विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि डीएम दीपक रावत जब सक्रियता से कार्य करते है तो इन अवैध शराब की भट्टियों को बंद क्यो नहीं कराया गया। सवरल जस का तस है कि अवैध कृत्यों को रोकने की जिम्मेदारी किसकी है। सरकार आबकारी अधिकारी को दोषी ठहराने को तैयार नहीं है। जबकि इस जहरीली शराब से सैंकड़ों परिवारों में अंधेरा छा गया है।