नवीन चौहान
हरकी पैड़ी पर एक शराब का पव्वा पकड़कर मीडिया में सुखियां बटोरने वाले जिलाधिकारी दीपक रावत को ग्रामीण इलाकों में अवैध तरीके से संचालित हो रही शराब की भट्टियां नजर क्यो नही आई। इसी के साथ आबकारी विभाग के प्रशांत ने इन शराब की फैक्ट्रियों पर छापेमारी क्यो नहीं की। ये तमाम सवाल हरिद्वार की जनता सोशल मीडिया पर उठा रही हैं। डीएम दीपक रावत की यूटयूब पर पोस्ट की जाने वाली वीडियों पर भी सवाल खड़े कर रही हैं। हरिद्वार की जनता बेहद नाराज है। सामाजिक संगठन मादक पदार्थो की तस्करी को रोकने की आवाज उठा रहे है। जीरो टालरेंस की त्रिवेंद्र सरकार पर भी अंगुली उठ रही है।
करीब दो साल पूर्व हरिद्वार जनपद में आईएएस दीपक रावत जिलाधिकारी के तौर पर आए। जिलाधिकारी की कुर्सी पर काबिज होते ही दीपक रावत ने अपनी पहचान एक जागरूक जिम्मेदार प्रशासनिक अफसर के तौर पर पेश की। उन्होंने तमाम विभागों में चेकिंग की। कई अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन रोके। डीएम दीपक रावत ने हरिद्वार के प्रशासनिक विभागों में छापे मारे और लापरवाह कर्मचारियों को फटकार लगाई। डीएम दीपक रावत के छापे वीडियो के माध्यम से मीडिया को भेजे गए जो खबरों की सुर्खियां बने। हरिद्वार की मीडिया ने भी डीएम दीपक रावत के छापेमारी अभियान को एक संदेश के तौर पर प्रसारित किया। डीएम दीपक रावत ने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के लिए एसएसपी को पत्र तक लिखा। डीएम ने खुद हरकी पैड़ी पर छापेमारी कर शराब का एक पव्वा बरामद किया और अवैध शराब के खेल से परदा उठाया। डीएम ने रानीपुर मोड पर एक दूध की डेरी पर भी छापा मारा और वहां भी कार्रवाई की। हरिद्वार की जनता ने डीएम दीपक रावत की कार्यशैली को पसंद किया। डीएम दीपक रावत की पहचान एक छापेमार अफसर के रूप में होने लगी। लेकिन इन सबके बीच हरिद्वार में जहरीली शराबकांड से 30 से अधिक लोगों की मौत के बाद एकाएक हरिद्वार की जनता डीएम दीपक रावत से नाराज हो गई। फेसबुक और व्हाट्सएप पर डीएम दीपक रावत की कार्यशैली को लेकर संदेह जताया जताने लगा। किसी ने उन्हें सुर्खियां बटोरने वाला डीएम बताया तो किसी ने कुछ ओर। कुल मिलाकर कहें तो सबका कहना ये ही था कि अवैध शराब की फैक्ट्रियां डीएम दीपक रावत को नजर कैसे नही आई। इस जहरीली शराब के कारोबार को बंद क्यो नहीं कराया गया। उत्तराखंड की सरकार से लेकर तमाम विपक्षी दल सवाल पूछ रहे है। सरकार की किरकिरी हो रही है। लेकिन इन सबके बीच हरिद्वार के आबकारी अधिकारी प्रशांत के कुर्सी पर बने रहने को लेकर भी चर्चाओं का दौर जारी है। आबकारी अधिकारी प्रशांत की रसूक और पकड़ को लेकर भी बहस छिड़ी है। जनता ने तमाम सवाल जीरो टालरेंस की सरकार के हवा में छोड़ दिए है। ऐसे में अब लोकसभा चुनाव भी नजदीक है। भाजपा को जनता के बीच जाना है। इन सवालो के जबाव जनता पूछेगी। ऐसे में सरकार को आबकारी अधिकारी प्रशांत को तत्काल प्रभाव से हटाकर जांच कराने का एक अच्छा संदेश देना चाहिए।