डीजी एलओ अशोक कुमार की मुहिम नहीं चढ़ी परवान, पुलिस नाकाम




नवीन चौहान
उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाने की पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार की महिम परवान नहीं चढ़ पाई है। उत्तराखंड में दिन—प्रतिदिन मादक पदार्थो की तस्करी बढ़ती जा रही है। उत्तराखंड का युवा नशे की लत में है। लेकिन पुलिस की लचीली कार्यशैली के चलते तस्करों के हौसले बुलंदी पर है। हरिद्वार जनपद की बात करें तो हकीकत यह है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में मादक पदार्थो की धडल्ले से तस्करी हो रही है। स्कूली छात्रों को नशीले पदार्थो की ब्रिकी की जा रही है। पुलिस के जागरूकता अभियान भी महज चंद सरकारी कार्यक्रमों तक ही सीमित रह गए। वही पुलिस की विभागीय व्यस्तताओं के चलते जाग्ररूकता अभियान और छापेमारी अभियान शिथिल पड़ गए है। हरिद्वार को नशा मुक्त बनाने के लिए पुलिस प्रशासन को एक ठोस रणनीति के तहत तस्करों पर शिकंजा कसने की सख्त जरूरत है। तभी पुलिस अपने अभियान में सफल मानी जा सकती है।
बताते चले कि बीते दिनों पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार ने केबिनेट मंत्री मदन कौशिक के साथ भेल के कंवेशन हॉल में संयुक्त कार्यक्रम कर मादक पदार्थो की तस्करी को रोकने और युवाओं को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में हरिद्वार जनपद के तमाम सरकारी और गैर सरकारी स्कूल प्रबंधकों, प्रधानाचार्य और संचालकों को आमंत्रित किया गया। हरिद्वार को नशा मुक्त बनाने की मुहिम शुरू की गई। बाकयदा एक टोल फ्री नंबर तक दिया गया। इस नंबर पर सूचना देने वाले की पहचान को गोपनीय रखने की बात तक कहीं गई। लेकिन जितने उत्साह के साथ इस कार्यक्रम का आगाज हुआ उतनी गंभीरता से इस मुहिम का अनुपालन नही हो पाया। महज चंद पुराने मादक पदार्थो के तस्करों की गिरफ्तारी तक ही पुलिस का छापेमारी अभियान सिमट कर रह गया। जिसका नतीजा ये रहा कि नशीले पदार्थो की तस्करी करने वाले असामाजिक तत्वों के बुलंदी पर रहे। पुलिस किसी बड़े नेटवर्क का खुलासा नही कर पाई। जबकि छुटभैयया तस्करों को जेल की सलाखों के पीछे भेज कर पुलिस अपनी उपलब्धियों का बखान करती रही। वक्त के साथ—साथ पुलिस का ये अभियान की धार कुंद पड़ गई। मादक पदार्थो के तस्करों ने अपने कार्य को गति प्रदान करनी शुरू कर दी। ऐसे में पुलिस प्रशासन को एक बार फिर युद्ध स्तर पर इस मुहिम को लेकर समीक्षा करनी होगी। ताकि भारत का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं का बचपन सुरक्षित रहे। आपराधिक घटनाओं में कमी आएगी। अगर सभी कोतवाल और थानेदार दृढ इच्छा शक्ति के साथ कर्तव्यनिष्ठा के इस मुहिम का अनुपालन करेंगे तो तस्करों की इतनी हिम्मत नही कि वह मादक पदार्थो की तस्करी हरिद्वार में कर पाए।



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