नवीन चौहान
डेंगू के डंक ने हरिद्वार के तमाम अस्पताल हाउस फुल कर दिए और गरीबों की बत्ती गुल कर दी है। जिसके चलते गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों की दीपावली की रौनक फीकी पड़ गई है। अस्पताल में भर्ती इन तमाम लोगों का दीपावली पर खर्च किया जाने वाला बजट डेंगू के डंक ने पी लिया। गरीब अस्पताल में भर्ती है और जिंदगी बचाने के लिए प्लेटलेटस ढूंढ रहे है। उत्तराखंड सरकार का आयुष्मान कार्ड भी किसी काम नहीं आ पा रहा। डबल इंजन की सरकार के ब्रेक फेल है। वह जीरो टालरेंस की मुहिम का राग उलाप रही है। लेकिन सरकार को गरीब परिवारों का दर्द नजर नही आ रहा है।
हरिद्वार में विगत कई महीनों से डेंगू का कहर बरपा हुआ है। डेंगू मच्छर की चपेट में आने से काफी संख्या में लोग बीमार पड़े है। पॉश कॉलोनी, बस्ती व तमाम स्थानों पर डेंगू का प्रकोप साफ दिखाई पड़ रहा है। हरिद्वार का सरकारी अस्पताल इलाज करने में नाकाम साबित हुआ। मरीजों ने प्राइवेट अस्पतालों की तरफ रूख किया। डेंगू के प्रकोप से तड़प रहे मरीजों के परिजन उनको लेकर प्राइवेट अस्पतालों पर पहुंचे। जहां अस्पताल पहले से ही हाउसफुल चल रहे है। ऐसे में मरीजों के परिजन असमंजस की स्थिति में रहे। वह इधर—उधर भागते दिखे। जिस अस्पताल में जगह मिली वहां भर्ती करा दिया। निजी अस्पतालों ने भी खूब चांदी काटी। गरीब डेंगू के दर्द से कराहते रहे। लेकिन कुंभकर्णी नींद में सो रही सरकार को गरीबों की आवाज सुनाई नही दी। स्थिति ये हो गई कि गरीबों की दीपावली का बजट अस्पतालों की दवाईयों पर चला गया। हालत ये हो गई कि गरीबों की दीपावली फीकी पड़ गई। फिलहाल गरीबों की बत्ती गुल है। जबकि अस्पताल डेंगू के मरीजों से हाउसफुल है।