सोनी चौहान
आईएएस अफसर की सबसे बड़ी खूबी यही होती है कि वह जनता के सबसे ज्यादा नजदीक हो। जनपद के लोगों की समस्याओं की पूरी जानकारी हो। क्षेत्र की जनता भी अपनी समस्या जिलाधिकारी को बता सकें। हरिद्वार के पूर्व जिलाधिकारी दीपक रावत इन सब खूबियों में माहिर रहे। वह सोशल मीडिया का उपयोग प्रशासनिक कार्यो में बेहतर तरीके से करना जानते है। एक सामान्य व्यक्ति का मैसेज भी पूर्व डीएम दीपक रावत पूरी संजीदगी के साथ देखते है और उनकी समस्या को दूर करते थे। लेकिन वो ये काम खबरों की सुर्खिया बनने के लिए नहीं करते रहे। बल्कि उन्होंने एक कुशल प्रशासनिक अफसर के तौर पर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। आईएएस दीपक रावत के हरिद्वार जिलाधिकारी पद पर बने रहने के दौरान की एक घटना को लालढांग के लोग आज भी याद करते है।
हरिद्वार जनपद का लालढांग क्षेत्र एक पिछड़ा हुआ इलाका है। इस इलाके में रहने वाले लोग बेहद गरीब और सामान्य परिवारों से ताल्लुक रखते है। इन परिवारों की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। विगत दिनों इस गांव की रहने वाली एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई। महिला ने शिशु को तो जन्म दे दिया। लेकिन महिला की तबीयत बहुत खराब हो गई। लालढांग में एक अदद अच्छा अस्पताल नही होने के चलते महिला को हरिद्वार लाया गया। महिला को हरिद्वार के कनखल स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जहां चिकित्सकों ने इलाज का खर्च करीब पौने दो लाख बता दिया। चिकित्सकों ने महिला के परिजनों को बताया कि अगर इलाज शुरू नही किया तो उसकी जिंदगी को बचाना मुश्किल होगा। चिकित्सकों के भारी भरकम बिल की बात सुनकर महिला के परिजन परेशान हो गए। एक तरह जिंदगी और मौत से जूझ रही महिला और दूसरी तरफ अस्पताल का बिल दिखाई दे रहा था। परिवार के आंसू थमने का नाम नही ले रहे थे। एकाएक पौने दो लाख का इंतजाम करना परिवार के लिए संभव नही था। ये बात गांव में आग की तरह फैल गई। इसी दौरान गांव के एक व्यक्ति ने अस्पताल में भर्ती महिला की हालत के बारे में तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक रावत को बताने की सलाह दी। इसके बाद अस्पताल में भर्ती महिला की हालत का जिक्र करते हुए एक मैसेज तत्कालीन डीएम दीपक रावत के मोबाइल पर पहुंचा। डीएम दीपक रावत ने तत्काल पीड़ित महिला के परिजनों से बात की और अस्पताल प्रबंधकों से बात करने के बाद उसके बिल को माफ करा दिया। जिसके बाद महिला का अस्पताल में अच्छी तरह से इलाज हुआ। महिला और उसका बच्चा बिलकुल स्वस्थ है। ये घटना जनवरी 2019 की है। इस पुरानी घटना का जिक्र आज इसलिए करना पड़ रहा कि क्योकि लालढांग के लोग डेंगू की बीमारी से जूझ रहे है और उनको आयुष्मान कार्ड का भी लाभ नही मिल पा रहा है। ऐसे ही लालढांग का एक व्यक्ति सुक्का कैंसर की बीमारी के चलते जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। आयुष्मान कार्ड लेकर एम्स परिसर में बैंच पर तड़पता रहा। लेकिन उसे एम्स में कोई भर्ती नही कर रहा है। क्षेत्र के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद जो कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक है वह भी उस पीड़ित को एम्स में भर्ती कराने में नाकाम रहे। विधायक महोदय ने तो पीड़ित परिवार की कोई सुध नही ली। ऐसे में एक बार फिर लालढांग गांव के लोगों और ब्लड कैंसर की बीमारी से जूझ रहा सुक्का का परिवार कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत को याद कर रहा है।
आईएएस अफसर की सबसे बड़ी खूबी यही होती है कि वह जनता के सबसे ज्यादा नजदीक हो। जनपद के लोगों की समस्याओं की पूरी जानकारी हो। क्षेत्र की जनता भी अपनी समस्या जिलाधिकारी को बता सकें। हरिद्वार के पूर्व जिलाधिकारी दीपक रावत इन सब खूबियों में माहिर रहे। वह सोशल मीडिया का उपयोग प्रशासनिक कार्यो में बेहतर तरीके से करना जानते है। एक सामान्य व्यक्ति का मैसेज भी पूर्व डीएम दीपक रावत पूरी संजीदगी के साथ देखते है और उनकी समस्या को दूर करते थे। लेकिन वो ये काम खबरों की सुर्खिया बनने के लिए नहीं करते रहे। बल्कि उन्होंने एक कुशल प्रशासनिक अफसर के तौर पर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। आईएएस दीपक रावत के हरिद्वार जिलाधिकारी पद पर बने रहने के दौरान की एक घटना को लालढांग के लोग आज भी याद करते है।
हरिद्वार जनपद का लालढांग क्षेत्र एक पिछड़ा हुआ इलाका है। इस इलाके में रहने वाले लोग बेहद गरीब और सामान्य परिवारों से ताल्लुक रखते है। इन परिवारों की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। विगत दिनों इस गांव की रहने वाली एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई। महिला ने शिशु को तो जन्म दे दिया। लेकिन महिला की तबीयत बहुत खराब हो गई। लालढांग में एक अदद अच्छा अस्पताल नही होने के चलते महिला को हरिद्वार लाया गया। महिला को हरिद्वार के कनखल स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जहां चिकित्सकों ने इलाज का खर्च करीब पौने दो लाख बता दिया। चिकित्सकों ने महिला के परिजनों को बताया कि अगर इलाज शुरू नही किया तो उसकी जिंदगी को बचाना मुश्किल होगा। चिकित्सकों के भारी भरकम बिल की बात सुनकर महिला के परिजन परेशान हो गए। एक तरह जिंदगी और मौत से जूझ रही महिला और दूसरी तरफ अस्पताल का बिल दिखाई दे रहा था। परिवार के आंसू थमने का नाम नही ले रहे थे। एकाएक पौने दो लाख का इंतजाम करना परिवार के लिए संभव नही था। ये बात गांव में आग की तरह फैल गई। इसी दौरान गांव के एक व्यक्ति ने अस्पताल में भर्ती महिला की हालत के बारे में तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक रावत को बताने की सलाह दी। इसके बाद अस्पताल में भर्ती महिला की हालत का जिक्र करते हुए एक मैसेज तत्कालीन डीएम दीपक रावत के मोबाइल पर पहुंचा। डीएम दीपक रावत ने तत्काल पीड़ित महिला के परिजनों से बात की और अस्पताल प्रबंधकों से बात करने के बाद उसके बिल को माफ करा दिया। जिसके बाद महिला का अस्पताल में अच्छी तरह से इलाज हुआ। महिला और उसका बच्चा बिलकुल स्वस्थ है। ये घटना जनवरी 2019 की है। इस पुरानी घटना का जिक्र आज इसलिए करना पड़ रहा कि क्योकि लालढांग के लोग डेंगू की बीमारी से जूझ रहे है और उनको आयुष्मान कार्ड का भी लाभ नही मिल पा रहा है। ऐसे ही लालढांग का एक व्यक्ति सुक्का कैंसर की बीमारी के चलते जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। आयुष्मान कार्ड लेकर एम्स परिसर में बैंच पर तड़पता रहा। लेकिन उसे एम्स में कोई भर्ती नही कर रहा है। क्षेत्र के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद जो कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक है वह भी उस पीड़ित को एम्स में भर्ती कराने में नाकाम रहे। विधायक महोदय ने तो पीड़ित परिवार की कोई सुध नही ली। ऐसे में एक बार फिर लालढांग गांव के लोगों और ब्लड कैंसर की बीमारी से जूझ रहा सुक्का का परिवार कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत को याद कर रहा है।