नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण से आपको बिलकुल भी घबराने की जरूरत नही है। बस सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत रखे। जिंदगी जीने के बुलंद हौसले के सामने कोरोना संक्रमण घुटने टेक देंगा। कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ों को देखकर अपने मन मस्तिष्क में गलत विचार लाने की भी कोई जरूरत नही है। भयभीत होने की तो कतई जरूरत नही है। कोरोना संक्रमण को खुली चुनौती देकर मात देने वाली हरिद्वार की जानी मानी आयुर्वेद चिकित्सक डॉ पूनम गंभीर ने प्रत्यक्ष उदाहरण पेश किया किया है। उनका मानना है कि कोरोना संक्रमण को मात देने के लिए आपकी दृढ इच्छा शक्ति का होना बहुत जरूरी है।
मार्च 2020 में चीन के बुहान से भारत में एंट्री करने वाले कोरोना संक्रमण ने भारत की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया है। कोरोना के खौफ से भारत के लोगों की जिंदगी पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गई। लोगों में दहशत का माहौल बन गया। लोग कोरोना के खौफ के साए में जीने लगे। दिन ढलते ही कोरोना बुलेटिन की मीडिया रिपोर्ट का इंतजार करने लगे। कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती तो लोगों के दिलों की धड़कने भी बढ़ने लगती थी। शहर का कोई इलाका क्वारंटाइन किया गया तो उस इलाके के लोगों को छुआ छूत का मरीज मानना शुरू कर दिया। कोरोना काल का वक्त बीतता गया और लोगों में दहशत बढ़ने लगी। अगस्त महीने तक आते—आते कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दिलों में खौफ पैदा करने लगी। लेकिन संक्रमित मरीजों से मरने वालों की चर्चा होने लगी। लेकिन कोरोना संक्रमण से सकुशल सुरक्षित बचने वाले लोगों पर कोई बात करने को तैयार नही है। ऐसे ही हरिद्वार के एक कोरोना पॉजीटिव मरीज को स्वस्थ करने वाली जानी मानी आयुर्वेद चिकित्सक डॉ पूनम गंभीर के अनुभव की बात करते है। जो आपके दिलों से कोरोना का खौफ दूर करने में कारगर होगा। डॉ पूनम गंभीर के पति और एलौपैथी के मशहूर चिकित्सक डॉ केएन गंभीर में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। जिसके बाद डॉ गंभीर को स्वस्थ करने की जिम्मेदारी डॉ पूनम गंभीर से स्वयं ले ली। डॉ पूनम ने बेखौफ होकर बिना पीपीई किट के डॉ केएन गंभीर का इलाज किया और मेडिकल टेस्ट कराए। आयुर्वेदिक औषधियों के मिश्रण को देकर डॉ गंभीर की एम्यूनिटी पावर को बढ़ाकर रखा। जिंदगी जीने की इच्छा शक्ति को कमजोर नही पड़ने दिया। करीब 14 दिनों के इलाज के बाद जब डॉ केएन गंभीर का दोबारा टेस्ट कराया तो रिपोर्ट नेगेटिव आई। डॉ केएन गंभीर बिलकुल स्वस्थ होकर पहले की तरह ही ऊर्जावान और आत्म विश्वास से लबरेज दिखे। लेकिन डॉ गंभीर के इलाज के बाद जब 27 जुलाई 2020 को डॉ पूनम गंभीर ने अपना कोरोना टेस्ट कराया तो रिपोर्ट के मुताबिक उनको कोरोना पॉजीटिव बताया गया। पॉजीटिव मरीज को लेने एंबूलेंस उनके घर आ गई। इस दौरान डॉ पूनम बिलकुल स्वस्थ थी और शरीर में किसी प्रकार का कोरोना का लक्षण दिखाई नही दे रहा था। वह अपने घरेलू कार्य और पेड़ पौधों की सेवा करने का कार्य पूरी ऊर्जा के साथ कर रही थी। डॉ पूनम गंभीर से 27 जुलाई की रात को ही गुडगांव की एक निजी लैब से अपना कोरोना टेस्ट कराया। जिसकी 30 जुलाई को आई रिपोर्ट नेगेटिव प्राप्त हुई। ऐसे में सबसे गंभीर सवाल ये था कि 27 जुलाई और 30 जुलाई के बीच की रिपोर्ट में डॉ पूनम गंभीर पॉजीटिव से नेगेटिव कैसे हो गई। जबकि उनके संपर्क में रहने वाले सभी लोग बिलकुल स्वस्थ है। ये दोनों पॉजीटिव और नेगेटिव रिपोर्ट जिलाधिकारी सी रविशंकर के माध्यम से सीएमओ को भेजी गई है। जिनकी जांच चल रही है। आखिरकार तीन दिनों में डॉ पूनम की रिपोर्ट में बदलाव कैसे हुआ। क्या पहले पॉजीटिव नही थी। अगर पॉजीटिव थी तो कोरोना संक्रमण खुद अपने आप ठीक हो गया। खैर छोड़ों ये तो जांच का विषय है। हमको तो आपके दिल दिमाग से कोरोना संक्रमण के खौफ को निकालना है। मानव शरीर प्रकृति की अनुपम देन है। प्रकृति ही मानव शरीर की रक्षा करती है। प्रकृति में मनुष्य को मानसिक मजबूत करने के सभी प्राकृतिक तत्व है। जिस प्रकार गर्मी के मौसम में हवा चलने से इंसान को सकून मिलता है। उसी प्रकार मां गंगा के दर्शन करने से आत्मिक संतुष्टि का भाव जाग्रत होता है। ठीक उसी प्रकार कोरोना संक्रमण का खौफ भी दिल दिमाग से निकालना जरूरी है।
आपकी जानकारी के लिए एक बात विचारणीय है कि कोरोना संक्रमण की किसी भी देश में कोई वैक्सीन नही बनी है। अगर वैक्सीन नही बनी तो संक्रमित मरीज ठीक कैसे हो गए। इसका मतलब ये है कि संक्रमित मरीजों की इच्छा शक्ति मजबूत थी। जबकि जो लोग संक्रमण से मरने वाले बताए गए है, वह अन्य दूसरी बीमारियों से ग्रसित थे। कोरोना संक्रमण के चलते उनकी दूसरी अन्य बीमारियों का भी सही प्रकार से इलाज नही मिल पाया। जिसके चलते उनको जान चली गई। कुल मिलाकर कहा जाए तो कोरोना संक्रमण को एक महामारी के रूप में लिया जाए। उसके खौफ में जीने की कोई जरूरत नही है।