संविधान एक किताब नहीं बल्कि यह राष्ट्र का जीवन दर्शन है : डॉक्टर अवनीत कुमार घिल्डियाल




सोनी चौहान
एसएमजेएन पीजी कॉलेज हरिद्वार में संविधान दिवस के अवसर पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। जिसमें राजनीति शास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान एवं पूर्व प्राचार्य डॉ अवनीत कुमार घिल्डियाल द्वारा संविधान के द्वारा प्रदत मौलिक अधिकारों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री महंत लखन गिरी, दिगंबर रघुवन, दिगंबर आशुतोष पुरी, प्रेमा त्रिपाठी, श्यामा पांडे, कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा, मुख्य अनुशासन अधिकारी डॉक्टर सरस्वती पाठक उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉक्टर संजय माहेश्वरी ने किया गया।


इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया पंडित हीरा बल्लभ त्रिपाठी प्रथम लोकसभा सांसद एवं संविधान सभा के सदस्य रहे थे। हरिद्वार में महारत्ना कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा। उन्होंने कहा कि संविधान का प्रकाशन देहरादून में हुआ था एवं भारतीय संविधान हाथ से लिख कर हिंदी अंग्रेजी भाषा में कैलिग्राफ किया गया था। इसे टाइप या प्रिंटिंग नहीं किया गया।


इस अवसर पर पंडित हीरा वल्लभ त्रिपाठी के योगदान को स्मरण करते हुए उनकी पुत्रवधू प्रेमा त्रिपाठी को शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष महंत लखन गिरी एवं प्राचार्य डॉ सुनील बत्रा एवं कॉलेज परिवार द्वारा सम्मानित किया गया।
डॉक्टर अवनीत कुमार घिल्डियाल ने कहा कि संविधान एक किताब नहीं है बल्कि यह राष्ट्र का जीवन दर्शन है। उन्होंने मौलिक अधिकारों पर चर्चा करते हुए कहा कि मौलिक अधिकार निर्बाध नहीं है। उन पर राज्य युक्तियुक्त नियंत्रण एवं प्रतिबंध लगा सकता है। भारतीय संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान है इसमें राज्य की शक्ति एवं नागरिकों के अधिकारों के मध्य एक अनोखा संतुलन स्थापित किया गया है। मौलिक अधिकार और संविधान वह ढांचा है जो मनुष्य को विकास और सुरक्षा प्रदान करता है। विधानसभा अपनी मेजॉरिटी के समय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन ना कर पाए इसलिए मौलिक अधिकारों की सुरक्षा का जिम्मा न्यायपालिका को दिया गया है।

उन्होंने सामाजिक समानता के अनुच्छेद 15 के तहत बताया कि सार्वजनिक स्थल जैसे पार्क सिनेमा आदि सभी धर्म एवं संप्रदाय के नागरिकों के लिए समान रूप से खुले हुए हैं। जाति धर्म भाषा के आधार पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।
देश का सर्वोच्च कानून संविधान है और इसकी रक्षा की जिम्मेदारी सर्वोच्च न्यायालय की है। विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रेस की आजादी पर डॉक्टर घिल्डियाल ने कहा कि संविधान में प्रत्येक नागरिक को अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं प्रेस को अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की आजादी है। मौलिक अधिकारों के बारे में चर्चा करते हुए डॉक्टर घिल्डियाल ने अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 32 तक विस्तार से छात्र-छात्राओं को बताया।


कार्यक्रम के समापन पर की नोट स्पीकर द्वारा छात्र-छात्राओं द्वारा प्रश्नोत्तरी भी की गई जिसमें सही प्रश्न का उत्तर देने पर छात्र छात्रा को पुरस्कार स्वरूप पेन भी प्रदान किया गया।


इस अवसर पर डॉ जे सी आर्य, विनय थपलियाल, अंकित अग्रवाल, रिचा मनोचा, डॉक्टर लता शर्मा, रिंकल गोयल, डॉ रितु चौधरी, डॉक्टर पद्मावती तनेजा, नेहा सिद्धकी, दीपिका आनंद, प्रज्ञा जोशी, दिव्यांश, वैभव बत्रा, पूर्णिमा सुंदरियाल, पंकज कुमार, विजय एमसी पांडे आदि उपस्थित थे।



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