नवीन चौहान
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में साल 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ रही कांग्रेस पूरे देश में चारों खाने चित हो गई। जबकि 17 राज्यों में कांग्रेस पार्टी का खाता तक नही खुल पाया। कांग्रेस के नौ पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव हार गए। जबकि अपनी पुस्तैदी सीट अमेठी पर राहुल गांधी खुद चुनाव हार गए। ऐसे में देश की सबसे बड़ी पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस की इस कदर दुर्गति होने पर सवाल उठना लाजिमी है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि राहुल गांधी के नेतृत्व को जनता ने नकार दिया। या दूसरी बड़ा सवाल कि मोदी की आलोचना करने का जो तरीका कांग्रेस ने अपनाया उसे जनता ने पसंद नही किया। आखिरकार राहुल गांधी की सबसे बड़ी भूल कहें या चूक वो कहां पर हुई। जो कांग्रेस को इतनी भारी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। चलिए इस सवालों की खोजबीन करते है।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता पर भाजपा प्रचंड बहुमत से काबिज हुई थी। इन पांच सालों के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई योजनाओं की खूब आलोचना हुई। लेकिन भ्रष्टाचार का कोई दाग उनके दामन पर नही लगा। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरी। जबकि भाजपा का मुख्य मुकाबला कांग्रेस पार्टी से था। कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। जिसमें एक से बढ़कर एक रणनीतिकार है। लेकिन कांग्रेस ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान युवराज राहुल गांधी को सौंप दी। ऐसे में पार्टी को केंद्र की सत्ता पर काबिज करना राहुल की नैतिक जिम्मेदारी बन गई। राहुल गांधी बतौर पार्टी के स्टार प्रचारक बनकर चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन उन्होंने मोदी की नीतियों में खामियां निकालने में पूरी ताकत झोंक दी। राहुल गांधी ने सबसे बड़ी ताकत तब लगाई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को देश का चौकीदार बताया। बस फिर क्या था राहुल गांधी तो लगे चौकीदार को चोर बताने। राहुल गांधी का कहना हुआ तो पूरी कांग्रेस चौकीदार नरेंद्र मोदी के पीछे पड़ गई। कांग्रेस का एक ही नारा बनकर रह गया चौकीदार चोर है। कांग्रेस ने जनता का मन नही टटोला। जनता के लिए कोई दूरदर्शी योजना नही बनाई। मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव जीतने से उत्साहित कांग्रेस सोचने लगी कि कांग्रेस की लहर चल रही है। जबकि इन राज्यों में हार स्वीकार करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गए। भाजपा मेरा बूथ सबसे मजबूत की रणनीति के तहत पन्ना प्रमुखों के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी करने में लगी रही। जबकि राहुल गांधी कभी गठबंधन के भरोसे तो कभी मोदी को चोर बताते रहे। चुनाव के आखिरी चंद दिनों में टिकटों का वितरण हुआ। प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार करने का वक्त तक नही मिल पाया। राहुल गांधी किसी ठोस मुद्दे को लेकर जनता के बीच नही गए। चुनावी भाषणों में राहुल गांधी विकास करने की बात कहते रहे, लेकिन लोगों को विश्वास नही जीत पाए। ऐसे तमाम कारण रहे जो कांग्रेस को कमजोर करते चले गए। राहुल गांधी की सबसे बड़ी भूल मोदी को चोर बताना ही रहा। जबकि राहुल को चाहिए था कि मोदी के कार्यकाल की नाकामियों को जनता तक पहुंचाते। आखिरकार राहुल गांधी मोदी की रणनीति के आगे फेल साबित हुए। भाजपा एक बार फिर प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज हो गई। भाजपा खुद सबसे बड़े दल के रूप में 303 सीट लेकर आई। जबकि एनडीए को 346 सीट मिली। कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी का जादू जनता के सिर चढ़कर बोला। राहुल गांधी को एक बार फिर अपनी भूल की समीक्षा करनी होगी। राहुल को समझना होगा कि किसी को गलत बोलने से नही अपितु खुद को उनके बेहतर साबित करके ही सत्ता हासिल की जा सकती है।