सीएम ने 164 करोड़ लागत की मेहूॅवाला क्लस्टर पेयजल योजना का किया शिलान्यास




सोनी चौहान
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को जूनियर हाई स्कूल बनियावाला में 164 करोड़ लागत की मेहूॅवाला क्लस्टर पेयजल योजना का शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने हरिओम आश्रम कड़वापानी की गोशाला के लिए 25 लाख की धनराशि प्रदान की। उन्होंने मीठीबेरी-परवल मोटर मार्ग का नाम शहीद गजेन्द्र सिंह बिष्ट के नाम पर रखे जाने के साथ ही सेलाकुई क्षेत्र की आन्तरिक सड़कों के निर्माण आदि से सम्बन्धित विभिन्न विकास योजनाओं की घोषणा भी की।


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाओं का क्रियान्वयन हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के लिए जन सहभागिता को जरूरी बताते हुए कहा कि छोटे-छोटे प्रयासों से हम पानी बचाने की बड़ी पहल कर सकते हैं। इसके लिए हमें वर्षाजल संग्रहण की दिशा में गंभीरता से सोचना होगा। धरती की पानी को धारण करने की भी सीमित क्षमता है। धरती के जीवन को बचाने के लिए भी यह जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जमरानी, कोसी, सौंग, सूर्यधार, मलढुंग जैसे बांधों से ग्रेविटी आधारित पेयजल उपलब्ध कराने में हम सफल होंगे। उन्होंने सभी से यह भी अपेक्षा की कि वह अपना घर बनाते समय उसमें वर्षा जल संग्रहण तकनीकी को भी प्रयोग में लायें। साथ ही अपने घरों के आस-पास चौड़ी पत्ती वाले पौधे लगाएं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि घर के पानी की रिसाईक्लिंग पर ध्यान देने का आह्वान प्रधानमंत्री मोदी ने भी राष्ट्रीय साइंस कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर किया गया हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल जी ने भी कहा था कि दुनिया में तीसरा युद्ध यदि होगा, तो पानी के लिए होगा। इससे पानी के महत्व को समझा जा सकता हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षा जल संग्रहण का सबसे बड़ा उदाहरण जलगांव हैं, जहां पर 700 एम.एम. वर्षा जल का तकनीकी दक्षता के साथ बेहतर उपयोग किया गया हैं। राज्य के अधिकारियों को इस तकनीकि की जानकारी प्राप्त करने के लिए भी वहां भेजा गया था।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य के विकास में केन्द्र सरकार द्वारा पूरा सहयोग किया जा रहा है। राज्य को 20 हजार करोड़ की फण्डिंग विभिन्न योजनाओं के लिए प्राप्त हुई हैं। सेन्ट्रल रोड फण्ड के अन्तर्गत पिछले 17 सालों में जितनी धनराशि मिली है, उतनी ही धनराशि राज्य को एक साल में प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि जन सहयोग से सकारात्मक सोच के साथ हम राज्य को विकास की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी गंभीर प्रयास किये गये हैं। रूद्रपुर, हरिद्वार एवं पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित किये गये हैं। हल्द्वानी कैंसर अस्पताल के साथ ही हरिद्वार में 100 बेडों का महिला अस्पताल बनाया गया है। इससे राज्य में स्वास्थ्य सुविधायें बेहतर होगी।
सचिव पेयजल अरविन्द सिंह ह्यांकी ने बताया कि उत्तराखण्ड पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत मेहूॅवाला क्लस्टर पेयजल योजना की लागत रू0 163.98 करोड़ हैं। योजना के अन्तर्गत 20 नये नलकूप, 06 नये अवर जलाशय एवं 329.96 किलोमीटर पाईप लाईन का निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं एवं साथ ही योजना के अन्तर्गत 05 पूर्व निर्मित नलकूप एवं 03 पूर्व निर्मित अवर जलाशय भी प्रयोग में लाये जायेगें। इस योजना से जनपद देहरादून के विकास खण्ड रायपुर एवं सहसपुर की 24-24 बस्तियों हेतु पेयजल की व्यवस्था 100 से 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन के आधार पर करने का प्रावधान किया गया हैं।
उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत स्वचालित वाटर मीटर एवं स्वचालित मीटर रीडिंग अंकन हेतु व्यवस्थायें प्रस्तावित किये जाने का प्राविधान किया गया है। योजना में 24×7 आधार पर न्यूनतम 16 घण्टे नियमित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए निर्धारित दबाव पर पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा। योजना के सभी निर्माण कार्य 24 महीने में पूर्ण किये जायेंगे तथा तीन महीने के ट्रायल रन अवधि के पश्चात् योजना का रख-रखाव निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार/कम्पनी एवं कार्यदायी संस्था द्वारा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी द्वारा विश्व बैंक पोषित अर्द्धनगरीय क्षेत्रों हेतु उत्तराखण्ड पेयजल कार्यक्रम के अर्न्तगत अर्द्धनगरीय क्षेत्रों की पेयजल योजनाओं का निर्माण कराने के लिए कार्यक्रम (2018-2023) का शुभारंभ किया गया था जिसके अर्न्तगत उत्तराखण्ड पेयजल निगम द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के अन्दर 15 पेयजल योजनाओं एवं उत्तराखण्ड जल संस्थान द्वारा 07 पेयजल योजनाओं का निर्माण कार्य प्रस्तावित किया गया।
इस अवसर पर सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक सहसपुर सहदेव पुण्डीर, विधायक धर्मपुर विनोद चमोली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में क्षेत्रीय जनता उपस्थित थी।



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