स्टूडेंट फ्रेंडली नही सीबीएसई फ्रेंडली था फिजिक्स का पर्चा, रोने लगे बच्चे




नवीन चौहान
सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं में 12वीं कक्षा के फिजिक्स अर्थात भौतिक विज्ञान के प्रश्न पत्र को देखकर बच्चे रोने लगे। प्रश्न पत्र को इतना कठिन बनाया गया कि स्टूडेंटस का सिर चकरा गया। कई बच्चे परीक्षा कक्ष में बेहोश हो गए तो कई बच्चों ने महज आधे घंटे में पेन डाउन कर दिए। फिजिक्स के पेपर को देखने के बाद तमाम विद्यार्थियों का मनोबल पूरी तरह से टूट गया है। इसी के साथ सीबीएसई के प्रश्न पत्र बनाने की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिंह लग गया। बच्चों का मनोबल बढ़ाने का दावा करने वाली सीबीएसई ने फिजिक्स के पेपर से ही बच्चों के भविष्य से खिलबाड़ कर दिया। बच्चे मानसिक तौर पर परेशान है और उनके शिक्षक हैरान है। आखिरकार इस तरह का जटिल प्रश्न पत्र बच्चों के सम्मुख प्रस्तुत कर सीबीएसई के अधिकारी बच्चों की कौन सी प्रतिभा को निखारना चाहते है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सोमवार को 12वीं कक्षा की फिजिक्स (भौतिक विज्ञान) की परीक्षा आयोजित कराई थी। परीक्षा कक्ष में सुबह 10.15 बजे पर बच्चों को प्रश्न पत्र मिला तो उनका सिर चकरा गया। पेपर सिलेबस और पैटर्न के अनुसार होने के बाबजूद बेहद ही जटिल और पेंचीदा बनाया गया था। ज्यादातर सवाल घुमा फिराकर पूछे गए थे। इन प्रश्नों को समझने में ही बच्चों का दिमाग घूम गया। सैद्धांतिक प्रश्न बहुत कठिन थे। परीक्षार्थियों का कहना था कि पेपर का पैटर्न जरूर सैंपल पेपर जैसा था, लेकिन सैंपल पेपर की तुलना में सवाल बहुत कठिन थे।
मैग्नेटिक और मॉर्डन फिजिक्स के सवाल कठिन थे। इन सवालों में गुणा-भाग में ही अधिक समय लग रहा था। अधिकतम छात्रों का कहना है कि मैग्नेटिक और मॉर्डन फिजिक्स के सवाल तो समझ में ही नहीं आए। अन्य सेक्शन (खंडों) से प्रश्न पूछे गए थे। प्रश्नों की भाषा इतनी अजीबो गरीब थी औसत दर्जे के विद्यार्थी तो समझ ही नही पाये। साइंस ग्रुप के बच्चों का भौतिक विज्ञान का पहला ही पेपर गड़बड़ा जाने से उनका मनोबल पूरी तरह टूट चुका है। ऐसे में बच्चे अपने अच्छे स्कोर की आस खो चुके है।

जटिल प्रश्न पत्र
एक छात्र ने बताया कि एक प्रश्न कोर्स से बाहर का था। ये प्रश्न तीनों सेट में था। एक न्यूक्लिीआई चैप्टर से एक प्रश्न तीनों सेटों में अजीबों गरीब तरीके से दिया गया। जिसकी भाषा समझ से परे की थी। आफ बीट पेपर से बच्चे उलझन में रहे।

बच्चों का टूट गया मनोबल
साइंस ग्रुप के बच्चों का अहम पेपर फिजिक्स का होता है। ऐसे में बच्चों का पेपर खराब होने से उनका मनोबल टूट चुका है। जिसके चलते उनके बाकी केमेस्ट्री, मैथ्स और बायो के पेपरों पर असर पड़ना लाजिमी है। फिजिक्स का पर्चा खराब होने से बच्चों के उत्साह में कमी आई है। हालांकि आईआईटी और जेई की तैयारी करने वाले कुछ छात्र ही इस प्रश्न को हल कर सकते है। लेकिन तमाम छात्र पूरी तरह से उलझन में है।

सीबीएसई की प्रश्न पत्र प्रणाली पर सवाल
सीबीएसई के फिजिक्स के जटिल प्रश्न पत्र के बाद उनके बच्चों के उत्साह बढाने के दावों की पोल खुल गई है। बोर्ड परीक्षाओं से पूर्व सीबीएसई के तमाम अधिकारी बड़ी—बड़ी बाते और दावे करके बच्चों का मनोबल बढ़ाने की बात करते दिखे। बच्चों को मन लगाकर पढ़ाई करने की नसीहत देते दिखे। लेकिन जिस तरह से फिजिक्स का पर्चा बच्चों के सामने आया है उसको देखकर लगता है कि मानों किसी आईआईटी के प्रोफेसर ने पेपर तैयार किया है। सवाल उठता है कि बच्चों की योग्यता को परखने के लिए परीक्षा होती है या उनके भविष्य से खिलबाड़ करने के लिए। सवाल विचारणीय है।

छात्रों से की गई बातचीत
सीबीएसई कक्षा बारहवीं का भौतिक का प्रश्नपत्र पिछले सालों की अपेक्षा अधिक कठिन पाया गया। प्रश्नपत्र छात्रों के एक विशेष वर्ग को ध्यान में रखकर बनाया गया प्रतीत हुआ

सेट 1 व 2 में जहां एक दो नम्बर का प्रश्न व एक तीन नम्बर का प्रश्न अधिक जटिलता लिए हुए थे। वहीं सेट 3 ज्यादा लेंदी था।
सवाल छात्र छात्राओं को केवल मात्र ग्रेस मार्कस् देने से ही नहीं है। प्रश्नपत्र पढ़ने के बाद से उन पर जो मानसिक दबाव बना होगा उसके फलस्वरूप उनका बाकी के पेपर भी खराब होना स्वाभाविक है।
एमसीक्यू जैसे एक नम्बर के प्रश्न ज्यादा समय की मांग करते हुए लगे। डेढ मिनट से ज्यादा समय 2 नम्बर के प्रश्न के लिए उचित नहीं।
जिन छात्रों से थ्योरी में 70 में से 60 की उम्मीद करते थे। वे भी लगभग सभी 40—45 के बीच ही प्राप्त कर पाएंगे।

पेपर में ये रही कमियां
—मेन टॉपिक से प्रश्न कम दिए गए।
—इलैक्ट्रिक फील्ड आफ चार्ज रिंग से 5 नंबर का एक प्रश्न दिया गसा जो कि कोर्स से बाहर
—दो न्यूमिरिकल सोल्व ही नही हो पा रहे है
—लैग्वेज प्राब्लम भी रही। क्या पूछा गया वो भी समझ से परे है।

सीबीएसई की हो रही किरकिरी
सीबीएसई की इन दिनों फिजिक्स के पेपर को लेकर चंहुओर किरकिरी हो रही है। सीबीएसई की परीक्षा कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गया। आखिरकार बच्चों के भविष्य से खिलबाड़ करने की जिम्मेदारी किसकी होगी। पूरे साल भर पढ़ाई करने वाले छात्रों को कम स्कोर को लेकर संतोष करना होगा। बोर्ड की गलती का खामिजाया छात्रों को भुगतना होगा। सीबीएसई को छात्रों की योग्यता को परखने के लिए प्रश्न पत्र तैयार करते चाहिए। लेकिन जिस तरह का प्रश्न पत्र रखा गया मानो छात्रों को अवसाद की ओर भेज रहे हो। छात्र डिप्रेशन में आ गए। सीबीएसई अपनी गलती को सुधारने की कवायद में जुटी है। हो सकता है सीबीएसई गलती को सुधार भी ले। लेकिन जिन बच्चों की मानसिक स्थिति खराब होने के चलते अगले परीक्षाओं पर असर होगा। उनके लिए कौन जिम्मेदार होगा।



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