भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता पार्टी नेताओं से नाराज




नवीन चौहान
उत्तराखंड में लोकसभा की पांचों सीट जीतने का दंभ भरने वाली भाजपा के समर्पित जमीनी कार्यकर्ता पार्टी से नाराज है। भाजपा के कार्यकर्ताओं को पार्टी में उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा कार्यकर्ताओं की बात को भी अनसुना किया जा रहा है। अगर हरिद्वार लोकसभा सीट की करें तो यहां भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता पूरी तरह से नाराज हैं। हालांकि समर्पित कार्यकर्ता पार्टी का झंडा उठाकर तो चल रहे है। लेकिन वोट कांग्रेस को देने और दिलाने की बात कर रहे है। अगर कार्यकर्ताओं की बात को गंभीरता से नहीं सुना गया तो आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को मेयर सीट की तरह लोकसभा सीट भी गवानी पड़ सकती हैं। कमोवेश यही हाल उत्तराखंड की अन्य चार सीटों पर भी बना हुआ है।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत से प्रदेश की सरकार पर काबिज हुई थी। इस चुनाव को जिताने में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं ने दिल खोलकर पार्टी के लिये मेहनत की थी। कार्यकर्ताओं की मेहनत का असर दिखाई दिया और 70 विधानसभा सीटों में से भाजपा 57 पर जीत दर्ज करने में सफल रही। सत्ता की कुर्सी पर काबिज हुए नेता मदहोश हो गए और पार्टी के कार्यकर्ताओं को भूल गए। कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जाने लगी। हालांकि कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं से दूरी तो नहीं बनाई। लेकिन मन ही मन निराशा का भाव लेकर बैठ गए। हरिद्वार लोकसभा सीट की बात करें तो यहां के वर्तमान सांसद रमेश पोखरियाल निशंक और नगर विधायक मदन कौशिक है। वही एक और कददावर नेता सतपाल महाराज भी हरिद्वार के प्रभारी मंत्री है। हाईकमान की राजनीति करने वाले सतपाल महाराज एक विधायक और मंत्री के तौर पर पूरी तरह से फेल साबित हुए है। सतपाल महाराज को अपने विभागों को लेकर पूरी जानकारी तक नहीं है। यही कारण है कि सतपाल महाराज के समर्थकों में निराशा का भाव है। अब बात करते है सांसद रमेश पोखरियाल निशंक और मदन कौशिक के सबसे विश्वासपात्र कार्यकर्ताओं की। इनकी हकीकत को निकाय चुनाव में सामने आ गई। जहां एक सांसद निशंक , केबिनेट मंत्री मदन कौशिक और करीब पांच विधायक भी मिलकर मेयर की जीत नहीं जीत पाए। भाजपा के इस सीट के हारने की वजह कार्यकर्ताओं की अनदेखी भी एक कारण रहा है। बतादे कि किसी भी राजनैतिक पार्टी के लिए जमीनी कार्यकर्ता सबसे अहम रोल अदा करता है। लेकिन गत दिनों भाजपा में कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। यदि पार्टी ने जल्द ही अपने कार्यकर्ताओं की मनोदशा को नहीं समझा तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ सकता है।



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