भोजपुर फर्जी एनकाउंटर मामला: दोषी पुलिस वालों को मिली आजीवन कारावास की सजा




गाजियाबाद: सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को भोजपुर के फर्जी एनकाउंटर मामले में दोषी चारों पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश राजेश चौधरी ने सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं के पक्ष को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। आजीवन कारावास के साथ-साथ आरोपियों में तत्कालीन एसओ लाल सिंह वर्मा को 2 लाख, दरोगा को 1 लाख और दोनों सिपाहियों को 60-60 हजार रुपए का अर्थदंड भरने का आदेश दिया गया। अदालत ने अर्थदंड की राशि से पीडि़तों की मदद के आदेश दिए है।
फैसले के समय अधिवक्ताओं, पीडि़तों के परिजनों और रिश्तेदारों से अदालत पूरा भरा था। बुधवार दोपहर दो बजे दोषसिद्ध चारों आरोपी पुलिसकर्मियों को कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया गया। सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक राजन दहिया ने भोजपुर पुलिस के फर्जी मुठभेड़ को ‘रेयररेस्ट मर्डर’ बताते हुए कहा कि निर्दोषों, निहत्थों की निर्मम हत्या सिर्फ प्रमोशन पाने के लिए की गई। इसलिए सभी अभियुक्तों को मृत्यु दंड दिया जाए।
वहीं बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष चंद सक्सैना, शम्मी शर्मा ने ‘रेयररेस्ट मर्डर’ का विरोध करते हुए तर्क दिया कि चारों मृतकों में से किसी को ना तो थाने में टॉर्चर किया गया और ना ही हवालात में रखा गया। सीबीआई के पास दोषी पुलिसकर्मियों द्वारा युवकों को थाने में लाने अथवा घटनास्थल तक ले जाने के साक्ष्य नहीं है। प्रमोशन के लिए मुठभेड़ मुद्दे पर अधिवक्ता ने कहा कि चारों में से किसी का भी ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन नहीं हुआ।
 दोनों पक्ष को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश ने चारों पुलिसकर्मियों रिटायर्ड सीओ लाल सिंह वर्मा, दरोगा जोगेंद्र सिंह, सिपाही सुभाष चंद और सूर्यभान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा के बाद बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। बता दें कि बीते सोमवार को विशेष न्यायाधीश राजेश चौधरी की अदालत ने भोजपुर एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए चारों पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी ठहराया था। भोजपुर पुलिस ने 8 नवंबर 1996 को दिनदहाड़े चार युवकों को बदमाश बताकर मुठभेड़ में मार गिराया था।


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