नवीन चौहान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के नये कानून में बच्चों की गलती की सजा उसके अभिभावकों को भुगतनी पड़ेगी। हो सकता है कि जेल भी जाना पड़े। यह सब उस स्थिति में होगा जब आप अपने नाबालिग बच्चों के हाथों में वाहन की चाबी देंगे। बताते चले कि मोदी सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए यातायात नियमों के कानून में बड़ा परिवर्तन किया है। नियमों का उल्लघंन करने वाले वाहन चालक व मालिकों पर भारी भरकम जुर्माने की राशि के साथ जेल तक का प्रावधान किया गया है। संशाेधित मोटर वाहन बिल लोकसभा व राज्यसभा पास होने के बाद एक कानून बनकर प्रदेशों तक पहुंच गया है। राज्य सरकार अपने अनुसार कानून में कुछ संसोधन कर एक सितंबर 2019 से इस एक्ट के अनुसार ही कार्रवाई होगी।
अगर काेई नाबालिग वाहन चलाने के दौरान सड़क दुर्घटना करता है तो वाहन मालिक या अभिभावक पर 25 हजार रुपए जुर्माने और 3 साल तक की सजा होने का प्रावधान है। जबकि वाहन का रजिस्ट्रेशन भी रद्द हाेगा। उन्होंने बताया कि बिल में सात नए प्रावधान हैं। दाेपहिया वाहन बिना हेलमेट अथवा तीन सवारी में पकड़ा गया ताे तीन माह के लिए ड्राइवर का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया जाएगा। बिना हेलमेट एक हजार और ओवरलोडिंग पर दो हजार रुपए जुर्माना लगेगा। एंबुलेंस को रास्ता न देने पर एक हजार का जुर्माना, खराब सड़क की वजह से हादसा होने पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। सबसे कम जुर्माना अब सौ के बजाय 500 रुपए हाेगा। नाबालिग के दुर्घटना करने की स्थिति में 25 साल की आयु तक वाहन चलाने की अनुमति भी नही मिलेगी। और एक साल तक वाहन का पंजीयन निरस्त कर दिया जायेगा। हालांकि मोदी सरकार ने एक बड़ी राहत यह प्रदान की है कि प्रदेश का कोई भी व्यक्ति किसी भी आरटीओ कार्यालय में लाईसेंस व वाहन का रजिस्ट्रेशन करा सकता है। अगर आप भी नाबालिग को वाहन देने की भूल करते है तो एक सितंबर से पूर्व इस आदत को बदल दीजिए। कही ऐसा ना हो कि बच्चे की गलती के कारण आपको कानूनी मुसीबतों का सामना करना पड़े।एआरटीओ (प्रवर्तन) सुरेंद्र कुमार ने बताया कि नये कानून एक सितंबर से लागू होगा। प्रदेश सरकार के संसोधन के बाद नया कानून प्रभावी हो जायेगा। ऐसे में नाबालिग को वाहन देना एक अभिभावकों के लिए संकट खड़ा कर सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के नये कानून में बच्चों की गलती की सजा उसके अभिभावकों को भुगतनी पड़ेगी। हो सकता है कि जेल भी जाना पड़े। यह सब उस स्थिति में होगा जब आप अपने नाबालिग बच्चों के हाथों में वाहन की चाबी देंगे। बताते चले कि मोदी सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए यातायात नियमों के कानून में बड़ा परिवर्तन किया है। नियमों का उल्लघंन करने वाले वाहन चालक व मालिकों पर भारी भरकम जुर्माने की राशि के साथ जेल तक का प्रावधान किया गया है। संशाेधित मोटर वाहन बिल लोकसभा व राज्यसभा पास होने के बाद एक कानून बनकर प्रदेशों तक पहुंच गया है। राज्य सरकार अपने अनुसार कानून में कुछ संसोधन कर एक सितंबर 2019 से इस एक्ट के अनुसार ही कार्रवाई होगी।
अगर काेई नाबालिग वाहन चलाने के दौरान सड़क दुर्घटना करता है तो वाहन मालिक या अभिभावक पर 25 हजार रुपए जुर्माने और 3 साल तक की सजा होने का प्रावधान है। जबकि वाहन का रजिस्ट्रेशन भी रद्द हाेगा। उन्होंने बताया कि बिल में सात नए प्रावधान हैं। दाेपहिया वाहन बिना हेलमेट अथवा तीन सवारी में पकड़ा गया ताे तीन माह के लिए ड्राइवर का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया जाएगा। बिना हेलमेट एक हजार और ओवरलोडिंग पर दो हजार रुपए जुर्माना लगेगा। एंबुलेंस को रास्ता न देने पर एक हजार का जुर्माना, खराब सड़क की वजह से हादसा होने पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। सबसे कम जुर्माना अब सौ के बजाय 500 रुपए हाेगा। नाबालिग के दुर्घटना करने की स्थिति में 25 साल की आयु तक वाहन चलाने की अनुमति भी नही मिलेगी। और एक साल तक वाहन का पंजीयन निरस्त कर दिया जायेगा। हालांकि मोदी सरकार ने एक बड़ी राहत यह प्रदान की है कि प्रदेश का कोई भी व्यक्ति किसी भी आरटीओ कार्यालय में लाईसेंस व वाहन का रजिस्ट्रेशन करा सकता है। अगर आप भी नाबालिग को वाहन देने की भूल करते है तो एक सितंबर से पूर्व इस आदत को बदल दीजिए। कही ऐसा ना हो कि बच्चे की गलती के कारण आपको कानूनी मुसीबतों का सामना करना पड़े।एआरटीओ (प्रवर्तन) सुरेंद्र कुमार ने बताया कि नये कानून एक सितंबर से लागू होगा। प्रदेश सरकार के संसोधन के बाद नया कानून प्रभावी हो जायेगा। ऐसे में नाबालिग को वाहन देना एक अभिभावकों के लिए संकट खड़ा कर सकता है।