सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का होगा प्रवेश, 1500 साल से महिलाओं की एंट्री पर है बैन




नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर रोक के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केरल सरकार ने सबरीमाला मंदिर में माहिलाओं की प्रवेश मामले में सोमवार को अपना रुख बदल दिया। केरल सरकार ने कोर्ट में कहा है कि हम चाहते हैं कि मंदिर के गर्भगृह तक महिलाओं को जाने की इजाज़त होनी चाहिए। मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि यहां 1500 साल से महिलाओं की प्रवेश पर बैन है।

इससे पहले केरल सरकार ने मंदिर प्रशासन बोर्ड का पक्ष लिया था और मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं के जाने पर ऐतराज जताया था। गौरतलब है कि मंदिर प्रशासन बोर्ड ने गर्भगृह तक महिलाओं के जाने पर रोक लगा रखी है। अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के लिए 13 फरवरी की तारीख तय की है।

इस ऐतिहासिक मंदिर में पुरानी परंपरा के मुताबिक तरुण अवस्था में प्रवेश कर चुकी महिलाओं का मंदिर में आना वर्जित है। ये मामला पिछले 10 साल से कोर्ट में चल रहा है। जनवरी और अप्रैल में भी सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एनवी रमण की पीठ ने मंदिर में महिलाओं के रोक पर आपत्ति जताई थी। 2007 में केरल सरकार ने भी मंदिर प्रशासन के समर्थन में कहा था कि धार्मिक मान्यताओं की वजह से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

जनहित याचिका दायर करने वाले वकीलों के संगठन इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन ने दलील दी कि ‘सती और दहेज’ जैसी पुरानी परंपराओं को भी खत्म किया गया है। याचिका में हर उम्र की लड़कियों के लिए मंदिर में प्रवेश की अनुमति मांगी गई है।



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