बीमार बेटी को आज भी है CM साहब की मदद का इंतजार




बुलंदशहर: यूपी के सीएम अखिलेश यादव बुलंदशहर में एक बीमार बेटी से मदद के लिए किया गया वादा भूल गए। इतना ही नहीं पत्रिकाओंं में मदद करने की खबरें भी छप गईं। जिला प्रशासन ने भी बीमार से सौतेला रवैया रखा। 10 महीने से बीमार बेटी आज भी इस इंतजार में है कि सीएम उसकी मदद करेंगे।

बुलंदशहर के डिबाई कस्बे में 12वीं की छात्रा रहमत को जबड़े टेम्परो मेडीब्यूलर ज्वाइंट नाम की बीमारी है। वह जब 5 साल की थी तभी उसके मुंंह का खुलना बंद होता चला गया। हालात इतने बदतर हो गए कि जबड़े के दांंत लॉक हो गए। इसकी वजह से वह खाना नहींं खा पाती है। दांतों के बीच के मामूली गैप्स से जो पानी, जूस या दूध उसके मुंंह में जाता है उसी के सहारे उसकी जिंदगी चल रही है।
 
रहमत के पिता मुहब्बत मलिक बताते हैंं कि रहमत की बीमारी के बारे में समाचर पत्रों और टीवी पर दिखाया गया था। उसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खबर का संज्ञान लेते हुए रहमत का इलाज कराने के लिए आर्थिक मदद देने का वायदा किया था। 10 महीने बीत गए, लेकिन सरकारी इमदाद कागजोंं में अटकी हुई है। मलिक कहते है कि सरकार ने मदद तो नही की, लेकिन उनकी बीमार बेटी के नाम पर एक भद्दा मजाक जरूर किया है। जनवरी-2016 की ‘संदेश पत्रिका’ के अंक में उनकी बेटी के बारे में सीएम के फोटो के साथ खबर छपी है और कहा गया है कि सरकार उनकी मदद कर रही है। जब मदद ही नही की तो फिर उनकी बीमार बेटी के बारे में खबरें छापने का क्या औचित्य है।
टीवी पर खबर दिखये जाने के बाद एसडीएम ने जताई थी आपत्ति
– मुहब्बत मलिक बताते है कि सीएम के संज्ञान लेने के बाद जिला प्रशासन की टीम घर आयी थी।
– एसडीएम डिबाई लालताप्रसाद शाक्य ने बेटी की खबर टीवी तक पहुँचने पर आपत्ति जताई थी।
– कहा था कि मीडिया वालों से ही आर्थिक मदद ले लो। बेटी की बीमारी की खबर टीवी पर क्यों दी।
– इसी मानसिकता से एसडीएम ने शासन को भी गलत रिपोर्ट भेजी थी।
रिपोर्ट में छुपाये गये थे तथ्य
 एसडीएम ने शासन को भेजी रिपोर्ट में लिखा कि बीमार बेटी के पिता के पास शस्त्र लायसेंस है। इसलिए नियमानुसार उसे मदद नही दी जा सकती। लेकिन एसडीएम शाक्य ने यह तथ्य अपनी रिपोर्ट में छुपाया कि बेटी की बीमारी के इलाज के चलते वह लायसेंसी हथियार दो साल पहले बेच चुके है। शायद इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने आर्थिक मदद नही दी।
 
बैंक का है 40 लाख रूपये का कर्जा –
मुहब्बत मलिक की मानें तो उसके अच्छे दिनो में उनका डेरी का कारोबार था। शस्त्र लायसेंस भी उन्हीं दिनो लिया था, लेकिन बेटी की बीमार का इलाज कराते-कराते सब कुछ बिक गया। डेरी और खेत बेचकर करीब 50 लाख रूपया बेटी के इलाज में खर्च कर चुके है। बैंको का करीब 40 लाख रूपये का कर्जा भी उनके सिर पर है। एसडीएम ने यह तथ्य भी अपनी रिपोर्ट में नही लिखा।
 बेटी की हालत अब लगातार बिगड़ रही है। एम्स के डाक्टरो ने चेतावनी दी है कि जल्द ही आरपेशन नही हुआ तो आगे जिंदगी ढर्रे पर लौटने की उम्मीद कम है। बेटी के इलाज के लिए आठ से दस लाख रूपये की तत्काल जरूरत है। मुहब्बत मलिक इस फरियाद को लेकर बुलंदशहर के डीएम से भी मिले है।
 
क्या कहते है अधिकारी-
 जिलाधिकारी आञ्जनेय कुमार सिंह ने बताया कि बेटी की बीमारी के खर्चे में मुहब्बत मलिक ने शस्त्र बेच दिया, यह जानकारी नही थी। रहमत के इलाज के लिए शासन को चिठ्ठी लिखी है। मुख्यमंत्री कार्यालय से भी मदद के लिए अनुरोध किया है।  रहमत को मदद की जरूरत है और शासन जल्द ही उसकी मदद करेगा।


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