एंग्लो वैदिक ज्ञान में निपुण बच्चे भारत को बनायेंगे विश्वगुरु: पुरोहित




हरिद्वार। डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने कहा कि वेद सभी भारतवासियों को उनके मूल से जोड़ते है। बच्चों में वेद का ज्ञान वर्तमान की एंग्लों शिक्षा दोनों का समावेश जरुरी है। प्रतिस्पर्द्वा के युग में बच्चों को वैदिक चेतना जागरुक कर अपनी संस्कृति और संस्कारों से भी जुड़ा रहना है। वही अग्रेजी शिक्षा  का ज्ञान अर्जित कर अपने को प्रतियोगिता में भी शामिल रखना है। बच्चों को दुर्गा सप्तसती और गीता का ज्ञान जरुरी है तो शेक्शपीयर, जान मिल्टन और जान कीटस का भी पता होना चाहिये। एंग्लो वैदिक ज्ञान से परिपूर्ण बच्चे ही विश्व पटल पर भारत को विश्व गुरु बनाने में सफल हो सकते है। कार्यक्रम के दौरान स्कूली बच्चों ने आर्य समाज की स्थापना और गंगा अवतरण की प्रस्तुति देकर सब का मन मोह लिया।
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डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में वैदिक चेतना सम्मेलन के अंतिम दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ गायत्री मंत्र के साथ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मुख्य वक्ता उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. महावीर अग्रवाल ने बच्चों और अभिभावकों को संबोधित करते हुये कहा कि सभी भारतीयों का मूल वेद है। वेदों से भारतवासियों का अस्तित्व है। पृथ्वी के आरंभ से ही वेद के ज्ञान ने मानव को संस्कार और संस्कृति से परिचित कराया। वेदों की महिमा अपरंपार है। वैदिक चेतना की धारा में की मातृ देवों भवः पितृ देवों भवः और आचार्य देवों भवः कहा जाता है। उन्होंने कहा कि हमे पश्चिमी सभ्यता को साथ लेकर चलना है लेकिन अपनी धरोहर वेद का ज्ञान सर्वोपरि है। कार्यकम के दौरान स्कूली बच्चों ने सत्यार्थ प्रकाश के स्थापना पर नाटय प्रस्तुति दी। वही पृथ्वी पर गंगा के अवतरण में भगीरथ के प्रयास के मनोहरम दृश्य ने अभिभावकों और बच्चों को आत्म विभोर कर दिया। स्कूल के प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये सभी अभिभावकों, शिक्षकों और बच्चों का आभार व्यक्त करते हुये अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि डीएवी संस्था का मुख्य उदेश्य बच्चों को एंग्लो वैदिक बनाना है। जिस कार्य के लिये संस्था संकल्पबद्ध है। कार्यक्रम में डीएवी स्कूल देहरादून की प्रधानाचार्य सारिका बाम्व, वीएमडीएवी स्कूल की प्रधानाचार्य कुसुम बाला त्यागी, व्यास आश्रम की आर्य समाज सेविका बहन विमला माता और शांति माता, एमएलसी एमएल अरोड़ा, उदितिदुबे, आरोही शर्मा, ऐष्वर्या बक्षी, प्रभजोत कौर, इषिता पाण्डे, चेतना सिधवानी, विदुषी, संस्कृति, गौरी मदान, श्रेष्ठाकुंतेल, प्रशस्ति गोस्वामी, पारखी कुमार, पर्णिका पटपटिया, माही सैनी, आर्या शर्मा, आराध्य बक्षी, तुषार बाटला, श्रीजा, आन्या, दिया शर्मा, रूद्रांषी, गुण अग्रवाल, हर्षिता पाण्डे, मन्नत, वरेण्या, वंषिका, सुजान्या, अनुष्का षर्मा, जसकिरत, तेजस्व, सौरव, प्रकुल पाराषर, सार्थक, विषाल, आर्यन अरोड़ा, आषी झा, सिद्धि, प्रतिभा षर्मा (संचालिका) अन्य अध्यापक-पूनम गक्खड़, अनीता स्नातिका, दीपमाला षर्मा, अर्चना तलेगांवकर, हेमलता पाण्डे, मनोज कपिल इत्यादि।


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