इस बार दिवाली पर 59 सालों बाद महासंयोग बन रहा है। आचार्यों की मानें तो करीब 59 सालों बाद शुक्र, शनि और गुरु का दृष्टि संयोग बन रहा है जो कई राशियों पर अच्छा असर डालने वाला है। इस बार दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का भी विशेष महत्व रहेगा और पूजा ज्यादा फलदायी होगी।
रविवार को दिवाली मनाई जाएगी। हालांकि अमावस्या तिथि शनिवार को ही रात में 07 बजकर 52 मिनट से लग गई है जो रविवार की रात में 09 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार अमावस्या का मान सूर्योदय से ही मिल रहा है। साथ ही प्रदोष काल का बहुत ही उत्तम योग मिल रहा है।
दीपावली के दिन महागणपति, महालक्ष्मी एवं महाकाली की पौराणिक और तांत्रिक विधि से साधना-उपासना का विधान है। दिवाली के दिन उद्योग-धंधों के साथ-साथ नये कार्य करने एवं पुराने व्यापार में खाता पूजन का विशेष विधान है। आचार्यों ने कहा-प्रदोष काल में पूजन लाभदायकमंगोलापुर के आचार्य मणिकांत पांडेय अनुसार धर्म शास्त्रों में दीपावली के पूजन में प्रदोष काल का विशेष महत्व होता है। इसके अतिरिक्त इस दिन चित्रा नक्षत्र सूर्योदय से दिन में नौ बजकर 02 मिनट तक रहेगा, उसके बाद स्वाति नक्षत्र लग जायेगा।